भाद्रपद पूरा महीना विष्णु को समर्पित है. वैष्णव मान्यताओं के अनुसार भाद्रपद पूर्णिमा के दिन चन्द्रमंडल में लक्ष्मी-नारायण का पूजन करना चाहिए. इस साल बेहद ही शुभ संयोग है ध्रुवयोग, वृद्धि योग, सर्वार्थ सिद्धि योग में 29 सितंबर के दिन भाद्रपद की पूर्णिमा पड़ेगी. भाद्रपद पूर्णिमा के अंत से ही पितृपक्ष की शुरुआत होती है. शुक्रवार के दिन भाद्रपद पूर्णिमा पड़ने से इसका महत्व काफी है क्योंकि शुक्रवार लक्ष्मी जी को प्रिय है. भाद्रपद पूर्णिमा पर माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए विधिपूर्वक पूजन करना चाहिए.
भाद्रपद पूर्णिमा शुभ मुहूर्त
भाद्रपद पूर्णिमा तिथि की शुरुआत- 28 सितंबर 2023, शाम 06:50
भाद्रपद पूर्णिमा तिथि समाप्ति- 29 सितंबर 2023, दोपहर 03.25
चंद्रोदय समय- शाम 06 बजकर18 मिनट पर
भाद्रपद पूर्णिमा पर 4 शुभ योगों के निर्माण से ये पूर्णिमा बेहद ही शुभ और पुण्यदायक है. भाद्रपद पूर्णिमा पर अमृत सिद्धि योग, सर्वार्थ सिद्धि योग ध्रुव योग और वृद्धि योग निर्मित हो रहे हैं.
भाद्रपद पूर्णिमा शुभ योग
ध्रुव योग – 29 सितंबर, रात 08:03 – शाम 04:27, 30 सितंबर
वृद्धि योग – 28 सितंबर, रात 11:55 – रात 08:03, 29 सितंबर
सर्वार्थ सिद्धि योग – 29 सितंबर, रात 11:18 – सुबह 06:13, 30 सितंबर
अमृत सिद्धि योग – 29 सितंबर, रात 11:18 – सुबह 06:13, 30 सितंबर
पूर्णिमा के समाप्त होते ही 30 सितंबर आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा से पितृपक्ष शुरू हो जाएगा. पितरों के लिए तर्पण, पूजन और दान-पुण्य करने का ये पक्ष 14 अक्टूबर तक रहेगा.
यह उपाय करें लक्ष्मी जी होंगी प्रसन्न –
देवी लक्ष्मी का चन्द्रमंडल में पंचोपचार पूजन करें. यदि चन्द्रमंडल न देख सकें तब घर पर मूर्ति या तस्वीर रख कर ही पूजन करें. नैवेद्य में खीरआवश्य रखें.
पूजन के बाद देवी के मन्त्र “ॐ ऐं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मै नम:” अथवा “ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये ,प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्मयै नमः” से एक एक कर 108 लौंग अर्पित करें. तदुपरांत पांच घी के दीपक पांच कोणों में जला कर देवी को अर्पित करें –
ईशान कोण – ‘श्रीं’ श्री लक्ष्मै नम: (दीप अर्पित करें)
अग्नि कोण में -ॐ ऐं श्रीं ह्रीं ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये ,प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्मयै नमः (दीप अर्पित करें)
नैऋत्य कोण में -श्रीं ह्रीं क्लीं त्रिशक्ति लक्ष्मै नम: (दीप अर्पित करें)
वायव्य कोण में -सकल ह्रीं श्रीं सर्वसाम्राज्य लक्ष्मै नम: (दीप अर्पित करें)
धन के लिए लक्ष्मी का सिंदूर से उपरोक्त मन्त्रों सेसे मंत्रात्मक अर्चन करना शिघ्र लाभदायी होता है.
पूजन सम्पन्न करने के उपरांत माता लक्ष्मी को चन्द्र मंडल में ध्यान करते हुए अर्घ्य प्रदान करें.

