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हर माह में आने वाले त्रयोदशी तिथि का विशेष महत्व होता है. भादों महीने की त्रयोदशी को सावन की तरह ही महत्वपूर्ण माना जाता है. भादों माह में शिव और माता पार्वती की पूजा करना बहुत लाभदायक होता है. शैव मानते हैं कि शिव-पार्वती की आराधना करने से भक्तों के समस्त संकट दूर होते हैं. शिव की पूजा चतुर्दशी में भी प्रशस्त है. तिथि और ग्रहयोग के अनुसार पूजन से दैवी शक्तियों का आशीर्वाद मिलता है. भगवान रश्मि रूप या प्रकाश में ही मौजूद रहते हैं और ज्ञान रूप से उनकी स्थिति है. प्रदोष काल में शुक्र और चन्द्र सहित शनि शक्तिशाली होते हैं इसलिए इस काल में रूद्र की पूजा करनी चाहिए. भादों माह के शुक्ल पक्ष में प्रदोष व्रत 15 सितंबर 2024 को रखा जाएगा. इस दिन रविवार होने के कारण ये रवि प्रदोष व्रत होगा.

त्रयोदशी मुहूर्त –
पंचांग के अनुसार, रवि प्रदोष व्रत पर पूजा का शुभ समय संध्याकाल 6 बजकर 26 मिनट से लेकर रात के 8 बजकर 46 मिनट तक रहेगा। इस दौरान आप महादेव और माता पार्वती की पूजा कर सकते हैं. शिव की त्रयोदशी में प्रदोष काल में पूजा की जाती है. प्रदोष काल में शिव-पार्वती पूजन कामना के अनुसार करने से सुख और धनधन्य प्राप्ति होती है. सात्विक निष्काम पूजन से ईश्वर लाभ होता है. शैव धर्म में प्रदोष काल को महादेव की पूजा के लिए लाभदायक माना जाता है. इस दिन व्रत रखने से सब कुछ प्राप्त हो जाता है. व्रत करना बहुत जरूरी नहीं, यह काल महत्वपूर्ण है इसलिए सिर्फ पूजन करने से ही बहुत कुछ हो जाता है.