मासिक शिवरात्रि पर भगवान शंकर की पूजा- अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं. इस समय अति पुण्यप्रद भाद्रपद मास चल रहा है. हर माह में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि मनाई जाती है. मासिक शिवरात्रि पर भगवान शंकर की पूजा- अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं और भगवान शंकर की विशेष कृपा प्राप्त होती है.
शिवस्य प्रिया रात्रिर्यस्मिन्
व्रते अंगत्वेन निहिता
तत् व्रतं शिवरात्र्याख्यम्॥
मध्वाचार्य के अनुसार शिवरात्रि शिव को अत्यंत प्रिय है. इस दिन व्रत करने से शिव की कृपा होती है. S
शिवं पूजयित्वा यो
जागर्ति च चतुर्दशीम्।
मातुः पयोधररसं न
पिबेत् स कदाचन ॥
यो न पूजयति ..
जन्तुर्जन्म सहस्त्रेषु
भ्रमते नात्र संशयः॥
स्कन्द पुराण के अनुसार चतुर्दशी को शिव की रात्रि में पूजा से मनुष्य पुन: जन्म नहीं लेता. जो शिव का शिवरात्रि में पूजन नहीं करता हजारों साल तक जन्म मरण के चक्कर में पड़ा रहता है.
भगवान भोलेनाथ को समर्पित यह तिथि शिव भक्तों के लिए बहुत खास है। मान्यता है कि मासिक शिवरात्रि पर विधि पूर्वक पूजन करने से सभी कष्टों से मुक्ति होती है. हिन्दू पंचांग के अनुसार भाद्रपद माह की चतुर्दशी 13 सितंबर को देर रात 02 बजकर 21 मिनट से शुरू होगी. यह तिथि अगले दिन 14 सितंबर को ब्रह्म मुहूर्त में 04 बजकर 48 मिनट पर समाप्त होगी. ऐसे में 13 सितंबर को भाद्रपद की मासिक शिवरात्रि का व्रत रखा सकते हैं.
शिव की कथा –
शिव औघड़ दानी हैं किसी भी प्रकार से पूजन से प्रसन्न होते हैं. ग्यारह बेल पत्र को भी यदि भावना से अर्पित किये जाएँ तो शिव बहुत प्रसन्न होते हैं. हमारे गाँव के करीब एक गावं में एक सिर फूटा शिव लिंग है. यह शिव मन्दिर एक भैंस चराने वाले अहीर के नाम पर हैं. गाँव वाले कहते हैं उस मूर्ख अहीर की शादी नहीं हो रही थी. क्रोधित होकर वह अहीर प्रतिदिन एक लाठी एक वीराने में पड़े शिव लिंग पर मारता था. एकदिन शिव इसी से प्रसन्न हो गये. शिव लिंग बीच से फट गया और रक्त निकलने लगा. उस अहीर की शादी हो गई, वह धनवान भी हो गया. उसने उस वीराने में पड़े शिव लिंग के स्थान पर मन्दिर बनवाया.
रात्रीं प्रपद्ये जननी
सर्वभूतनिवेशनीम्
भद्रां भगवती कृष्णां
विश्वस्य जगतो निशाम्।
संवेशिनी संयमनीं
ग्रहनक्षत्रमालिनीम्
प्रपन्नोऽहं शिवां रात्री
भद्रे पारमुशीमहि ॥
We take refuge of the Goddess Shivaratri, the auspicious black night of the whole universe, the settling force of all beings, the controlling agent having the garland of stars and planets, may she be enshrined in my heart, O Ominous One! I long you earnestly for my upliftment.
~ ऋग्वेद्-खिल-रात्रि सूक्त

