ज्यादातर ग्रन्थों में क्लासिक ज्योतिषीय ग्रंथों को छोड़कर ज्योतिष फल वर्णन में तिलों के महत्व पर भी विचार किया गया है। ज्योतिष ग्रन्थों में तिल ग्रहों के इम्प्रेशन के रूप में बताये गये हैं। इन्हीं प्राचीन विद्याओं में से बेहद कारगर विद्या है सामुद्रिक शास्त्र, जिसके अंतर्गत व्यक्ति के हाव-भाव, शारीरिक बनावट और शारीरिक चिह्नों का आंकलन कर, यह पता लगाया जा सकता है कि व्यक्ति का भविष्य और उसका वर्तमान कैसा है। इसके अलावा व्यक्ति के स्वभाव और उसके चरित्र का भी ठीक-ठीक आंकलन किया जा सकता है। तिल को ग्रहों के प्रभाव के रूप में देखा जाता है । तिलों के अध्ययन के द्वारा हम कई शुभ अशुभ बातों को समझ पाते हैं। ज्यादातर कई तिल तो शरीर में जन्मजात होते हैं लेकिन कई तिल ऐसे भी होते हैं जो कि हमारे जीवन काल में उत्पन्न होते हैं और अदृष्य भी हो जाते हैं तथा इनका रंग व आकार भी बदलता रहता है।
तिलों के रंग में बदलाव भाग्य में बदलाव का संकेत देते हैं। सामुद्रिक शास्त्र जिसमें देह , हस्तरेखा इत्यादि के आधार पर भविष्य बताने का विज्ञानं लिखित है उन शास्त्रों के अनुसार तिल मानव जीवन के कई रहस्यों से पर्दा उठाते हैं। मानव शरीर पर बने तिल सिर्फ सौन्दर्य की ही वस्तु नहीं होती वरन इसके द्वारा मानव व्यवहार के कई रहस्य जाने जा सकते हैं जैसे माथे पर तिल का होना मनुष्य को भाग्यवान बनाता है जबकि होठों पर तिल कामुकता को दर्शाता है। कुछ ज्योतिष ग्रन्थों में तथा सामुद्रिक शास्त्र में तिल और मस्सों आदि के बारे में विस्तार से बताया गया है ।
जातक भरण ग्रंथ के रचनाकार आचार्य दुण्ढिराज के अनुसार जिस व्यक्ति के जन्म के समय ही उसकी कुंडली में राजयोग की परिस्थितियां बनती हैं उसके हाथों और पैरों की रेखाएं बिल्कुल स्पष्ट होती हैं। पुरुषों के दाएं हाथ या पैर में और स्त्री के बाएं हाथ या पैर में यदि किसी भी प्रकार का कोई भी राजचिह्न दृष्टिगोचर है तो जीवन सुखमय और संपत्ति से भरपूर बीतेगा।
एक उभरे हुए तिल को मस्से के रूप में जाना जाता है। तिल स्त्री के शरीर पर बायें भाग में तथा पुरूष के शरीर पर दायें भाग में शुभ जाने जाते हैं। शहद जैसे भूरे, पन्ना की तरह हरे एवं लाल रंग के तिलों को काले तिलों की अपेक्षा अधिक शुभ माना जाता है। भारतीय और चीनी ज्योतिष में तिलों को जातक के भाग्य के सूचक के रूप में जाना जाता है। जातक के ऊपर ग्रहों का प्रभाव मां के गर्भ में भ्रूण के निर्माण के साथ ही आरम्भ हो जाता है। कुछ ग्रह भ्रूण पर अधिक प्रभाव डालते हैं तथा कुछ ग्रह कम प्रभाव डालते हैं। ग्रहों का ये प्रभाव तिलों के निर्माण के रूप में सामने आता है जोकि शरीर की सतह पर दिखाई देते हैं। ज्योतिष के अनुसार तिलों का महत्व उनके आकार के साथ बढ़ता जाता है ।
तिलों तथा जन्मचिह्नों का स्पष्टीकरण दो तत्वों पर निर्भर करता है- प्रथम उनका भौतिक बनावट तथा द्वितीय जातक के शरीर का वह भाग जहाँ वह स्थित होते हैं। संकेतनिधि स्पष्ट रूप से यह इंगित करते हैं कि तिलों का एक निश्चित प्रभाव होता है। शरीर के विभिन्न भागों में स्थित तिल राशि चक्र को सूचित करते हैं जिसके द्वारा जातक का जीवन विषेष रूप से प्रभावित होता है। ज्योतिष में प्रत्येक राशि चक्र शरीर के विशेष भाग पर प्रभुत्व रखता है। जैसे कि मेष राशि – मस्तक, वृष राशि – चेहरा, गर्दन, गला, दायां नेत्र तथा नाक, मिथुन राशि – बाँहें, कंधे, दायां कान, पसली का ऊपरी भाग तथा दाया हाथ, कर्क राशि -छाती, स्तन, पेट, कुहनी, फेफडे़, सिंह राशि – हृदय आदि ।
तिलों में आकार का महत्व
छोटे तिल-वह तिल जो कि इतने छोटे होते हैं कि उनको साधारणतया देखा नहीं जा सकता, ज्यादा प्रभाव नहीं डालते हैं । बडे़ तिल-बडे़ तिल जातक के जीवन को विषेष रूप से प्रभावित करते हैं।
लम्बे तिल-लम्बे तिल प्रायः अच्छे परिणाम देते हैं।
रंग के आधार पर तिलों का महत्व
हल्के रंग के तिल-हल्के रंग के तिल प्रायः शुभ होते हैं। लाल रंग के तिल या शहद के रंग के या हरे रंग के तिल सामान्यतः भाग्य में शुभता के सूचक होते हैं ।
काले तिल-प्रायः अच्छे नहीं माने जाते हैं। इच्छित परिणाम के रास्ते में बाधक होते हैं।
मानव शरीर में इन प्रमुख स्थानों पर स्थित तिल का महत्व
1-मस्तक या ललाट के दायीं ओर तिल व्यक्ति को ऐश्वर्य एवं भाग्यशाली बनाता है जबकि बायीं ओर तिल साधारण फल ही देते हैं। लेकिन स्त्रियों में बायीं ओर का चिह्न शुभ फल देता है।
2-दायीं कनपटी पर तिल शीघ्र विवाह का सूचक होता है। सुन्दर पत्नी, अचानक धन लाभ भी देता है। बायीं कनपटी का तिल अचानक विवाह के योग बनाता है साथ ही धनप्राप्ति भी देता है लेकिन वह धन शीघ्र नष्ट होने वाला होता है।
3-स्त्रियों के बाये गाल पर स्थित तिल पुत्र दायक होता है तथा बुढ़ापे में संतान सुख भी मिलता है। यदि तिल भौहों की नोक या माथे पर होता है तो स्त्री को राजपद की प्राप्ति होती है। नाक के अग्रभाग में स्थित तिल स्त्री को परम सुख की भागी बनाता है।
4-भौहों के मध्य रिक्त स्थान पर स्थित तिल अति शुभ होते हैं। दाहिनी भौंह पर तिल सुखमय दांपत्य जीवन का संकेत है जबकि बायीं भौंह पर तिल विपरीत फल देता है। पलकों पर तिल शुभ नहीं माने जाते तथा भविष्य में किसी कष्ट के आने का संकेत देते हैं। कनपटी पर तिल जातक को वैरागी या संन्यासी बनाते हैं। नाक के अग्रभाग पर तिल व्यक्ति को विलासी बनाता है। गाल पर तिल पुत्र प्राप्ति का सूचक है। ऊपरी होंठ पर स्थित तिल धनवान और प्रतिष्ठावान बनाता है जबकि नीचे के होंठ पर तिल जातक के कंजूस होने का संकेत देता है ।
5-नाक की टिप पर तिल जातक के लिए शुभ होता है। नाक के दाहिनी तरफ तिल कम प्रयत्न के साथ अधिक लाभ देता है जबकि बायीं तरफ का तिल अशुभ प्रभाव देता है। ठोड़ी पर तिल का होना भी शुभ होता है। व्यक्ति के पास हमेषा धन प्राप्ति का साधन रहता है तथा वह अभावों में नहीं रहता है। गले में स्थित तिल व्यक्ति के दीर्घायु होने का संकेत देता है तथा व्यक्ति को ऐशोआराम के साधन बड़ी सुगमता से मिलते रहते हैं ।
6-गले पर तिल वाला जातक आरामतलब होता है। गले के आगे के भाग में तिल वाले जातक के मित्र बहुत होते हैं जबकि गले पर पीछे तिल होना जातक के कर्मठ होने का सूचक है। गले के पीछे स्थित तिल व्यक्ति को सौभाग्यशाली बनाते हैं लेकिन कंधे और गर्दन के जोड़ पर स्थित तिल का फल शुभ नहीं होता है। कानों पर स्थित तिल विद्या व धनदायक होते हैं ।
7-हाथ की उंगलियों के मध्य स्थित तिल जातक को सौभाग्यशाली बनाते हैं। अंगूठे पर तिल जातक को कार्यकुशल, व्यवहार कुशल तथा न्यायप्रिय बनाता है। तर्जनी पर तिल जातक को विद्यावान, गुणवान, धनवान लेकिन शत्रु से पीड़ित बनाता है। मध्यमा पर तिल शुभ फलदायी होता है। जातक का जीवन सुखी व शांतिपूर्ण होता है। अनामिका पर तिल जातक को विद्वान, यशस्वी, धनी और पराक्रमी बनाता है जबकि कनिष्ठा पर तिल जातक को सम्पत्तिवान तो बनाता है लेकिन जीवन में शांति की कमी रहती है। हथेली के मध्य में तिल धन प्राप्त कराते हैं। बांह में कोहनी के नीचे स्थित तिल शुभ होता है। यह शत्रुनाशक होता है। परंतु कलाई पर स्थित तिल अशुभ होता है। भविष्य में जेल की सजा हो सकती है। हाथ की त्वचा पर स्थित तिल शुभफलदायी होते हैं।
8-हृदय पर स्थित तिल पुत्र प्राप्ति का सूचक होता है। ऐसी स्त्री सौभाग्यवती होती है। वक्षों के आस-पास स्थित तिल भी ऐसा ही फल देता है। पेट और कमर के जोड़ के पास के तिल अशुभ फलदायी होते हैं जबकि सीने पर स्थित तिल वाले जातक की मनोकामनाएं स्वयं पूर्ण हो जाती हैं। यदि तिल दोनों कंधों पर स्थित हैं तो जातक का जीवन संघर्षपूर्ण होता है। दायें कंधे पर तिल जातक की तेज बुद्धि तथा विकसित ज्ञान को इंगित करता है। कांख पर स्थित तिल धनहानि का सूचक है। कमर पर तिल शुभ फलदायी होता है।
9-पेट पर स्थित तिल शुभ नहीं माने जाते। यह व्यक्ति के दुर्भाग्य के सूचक हैं। ऐसे जातक भोजन के शौकीन होते हैं। लेकिन नाभि के आसपास स्थित तिल जातक को धन-समृद्धि दिलाते हैं। यदि तिल नाभि से थोड़ा नीचे है तो जातक को कभी भी धन का अभाव नहीं होता है। पीठ पर तिल जातक को महत्वाकांक्षी, भौतिकवादी प्रवृत्ति देता है। जातक रोमांटिक स्वभाव का तथा भ्रमणशील होता है। ऐसे जातक धन खूब कमाते हैं तथा खर्चा भी खूब करते हैं ।
10-घुटनों पर स्थित तिल शत्रुओं के नाष को सूचित करते हैं। पिंडली पर तिल शुभ नहीं माने जाते हैं। टखनों पर भी तिल शुभ फल नहीं देते हैं। कुल्हों के ऊपर स्थित तिल धन का नाश करते हैं। एड़ी में स्थित तिल भी धन तथा मान-सम्मान कम करते हैं। पैरों पर स्थित तिल वाला जातक यात्राओं का शौकीन होता है। लेकिन पैरों की उंगलियों के तिल जातक को बंधनमय जीवन देते हैं। पैर के अंगूठे का तिल व्यक्ति को समाज में प्रतिष्ठा प्राप्त करवाता है।

