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हिंदू पंचांग के अनुसार अश्विन महीने की चतुर्दशी में कई शुभ योग बने हुए है. हिंदू धर्म में हर चतुर्दशी का अपना विशेष महत्व है लेकिन अश्विन चतुर्दशी का महत्व कुछ अधिक है. पितृ पक्ष में पड़ने वाली अश्विन चतुर्दशी के दिन अकाल मृत्यु को प्राप्त होने वाले लोगों का श्राद्ध किया जाता है. चतुर्दशी श्राद्ध को चौदस श्राद्ध या घायल चतुर्दशी भी कहा जाता है. महाभारत में वर्णित है कि कि आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को उन लोगों का श्राद्ध करना चाहिए जिनकी स्वाभाविक मृत्यु न हुई हो.

कृष्ण चतुर्दशी श्राद्ध का मुहूर्त –

12 अक्टूबर 2023 को शाम 07:54 बजे – 13 अक्टूबर 2023 को रात 09:51 बजे
कुतुप मूहूर्त – 11:44 ए एम से 12:30 पी एम अर्थात दोपहर में दुर्घटना में मरे परिजनों का श्राद्ध विहित है.
अवधि – 00 घण्टे 46 मिनट्स
रौहिण मूहूर्त – 12:30 पी एम से 01:17 पी एम
अवधि – 00 घण्टे 46 मिनट्स
अपराह्न काल – 01:17 पी एम से 03:35 पी एम
अवधि – 02 घण्टे 19 मिनट्स

मासिक शिवरात्रि 

शिवरात्रि भी इसी तिथि में पढ़ रही है ऐसे में मासिक शिवरात्रि का व्रत 12 अक्टूबर को ही किया जाएगा. इस दिन पूजा का शुभ मुर्हूत श्राद्ध के बाद मध्य रात्रि 11 बजकर 25 मिनट से 12 बजकर 12 मिनट तक रहेगा. मासिक शिवरात्रि की पूजा आधी रात में अर्थात निशिथ काल करने का विधान है. ऐसे में पूजा से पहले स्नान करें. इसके बाद भगवान शिव का जलाभिषेक करें और शिवलिंग पर दूध या गंगाजल चढ़ाएं। साथ ही धतूरा, बेलपत्र, दही, चंदन आदि भी शिवलिंग पर अर्पित करें.

शनि पूजन –
कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी शनि पूजा और काली पूजा के लिए प्रशस्त मानी गई है. इसमें काली पूजन अत्यंत फलदायी होता है.