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वैष्णव सम्प्रदाय की एकादशी की तरह चतुर्थी इस सम्प्रदाय की सबसे महत्वपूर्ण तिथि है. गणेश विघ्नहर्ता हैं इनकी प्रथम पूजा करने का विधान है. हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी मनाई जाती है,आषाढ़ महीने की चतुर्थी की विशेष महत्ता है. इस बार 29 जनवरी को माघ माह की संकष्टी चतुर्थी पड़ रही है. इस दिन विघ्नहर्ता भगवान श्री गणेश की पूजा-उपासना की महत्ता बताई गई है. मान्यता है कि संकष्टी चतुर्थी के दिन सच्ची श्रद्धा और भक्ति से गणपति की पूजा करने वाले की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. साथ ही सभी दुःख, संकट और क्लेश दूर हो जाते हैं.

संकष्टी चतुर्थी मुहूर्त-

पंचांग के अनुसार, आषाढ़ कृष्ण चतुर्थी तिथि का प्रारंभ 14 जून दिन शनिवार को दोपहर 3:46 मिनट से शुरू होगी और 15 जून को दोपहर 3:51 मिनट पर तिथि खत्म हो जाएगी. उदयातिथि के अनुसार,जून की संकष्टी चतुर्थी 14 जून शनिवार को मनाई जाएगी. संकष्टी चतुर्थी के दिन दिन अभिजीत मुहूर्त 11 बजकर 54 मिनट से दोपहर 12 बजकर 49 मिनट तक है. इस दिन का निशीथ मुहूर्त 12:01 ए एम से 12:42 ए एम तक है. सूर्योदय उपरांत गणेश की पूजा करना चाहिए और सायं भी इसी गोधुली में करना चाहिए.
 14 जून को संकष्टी चतुर्थी के दिन चांद निकलने का समय रात 10:07 मिनट है.

गणेश जी की मेरु तंत्रोक्त नाम बीजात्मक 21 मन्त्रो से पूजा करना चाहिए और इन्हीं दूर्वा अर्पित करना चाहिए-

ॐ गां गीं गूं गैं गौं गः द्विदन्तविनायकाय नमः । 
ॐ गां गीं गूं गैं गौं गः द्वितुण्डविनायकाय नमः ।
ॐ गां गीं गूं गैं गौं गः द्व्यक्षविनायकाय नमः ।
ॐ गां गीं गूं गैं गौं गः ज्येष्ठविनायकाय नमः ।
ॐ गां गीं गूं गैं गौं गः गजविनायकाय नमः ।
ॐ गां गीं गूं गैं गौं गः कालविनायकाय नमः ।
ॐ गां गीं गूं गैं गौं गः नागेशविनायकाय नमः ।
ॐ गां गीं गूं गैं गौं गः सृष्टिगणेशाय नमः ।
ॐ गां गीं गूं गैं गौं गः यक्षविघ्नेशाय नमः ।
ॐ गां गीं गूं गैं गौं गः गजकर्णाय नमः ।
ॐ गां गीं गूं गैं गौं गः चित्रघण्टाय नमः ।
ॐ गां गीं गूं गैं गौं गः मङ्गलविनायकाय नमः ।
ॐ गां गीं गूं गैं गौं गः मित्रादिविनायकाय नमः ।
ॐ गां गीं गूं गैं गौं गः मोदगणेशाय नमः ।
ॐ गां गीं गूं गैं गौं गः प्रमोदगणेशाय नमः ।
ॐ गां गीं गूं गैं गौं गः सुमुखाय नमः ।
ॐ गां गीं गूं गैं गौं गः दुर्मुखाय नमः ।
ॐ गां गीं गूं गैं गौं गः गणनायकाय नमः ।
ॐ गां गीं गूं गैं गौं गः ज्ञानविनायकाय नमः ।
ॐ गां गीं गूं गैं गौं गः द्वारविघ्नेशाय नमः ।
ॐ गां गीं गूं गैं गौं गः अविमुक्तेशविनायकाय नमः ।