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आषाढ़ पूर्णिमा को ही गुरु पूर्णिमा कहा जाता है. इस पूर्णिमा से विधिवत चातुर्मास्य का प्रारम्भ होता है. आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा के दिन भगवान वेद व्यास का जन्म हुआ था, इसलिए गुरु पूर्णिमा उनको समर्पित है. गुरु पूर्णिमा को ही व्यास पूर्णिमा भी कहते हैं. गुरु पूर्णिमा का पर्व रविवार 21 जुलाई को है. इस दिन आषाढ़ पूर्णिमा का स्नान और दान भी होगा. आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि में उत्तराषाढा नक्षत्र रहेगा और सर्वार्थ सिद्धि योग भी रहेगा. इस दिन भगवान व्यास और गुरु की पूजा करना चाहिये. भागवत में व्यास देव को विष्णु भगवान का अवतार कहा गया है. गुरु पूर्णिमा के अवसर पर अपने गुरुजनों का आशीर्वाद लेना चाहिये, सेवा-सत्कार करना चाहिए और उन्हें कुछ न कुछ दान, सुंदर वस्त्र इत्यादि आवश्य प्रदान करना चाहिए.

गुरु पूर्णिमा पर आषाढ़ पूर्णिमा का स्नान और दान का काफी महत्व है. इस दिन अपनी क्षमता के अनुसार गुरु को श्रेष्ठ वस्तुओं का दान करें. दान में वित्तसाठ्य नहीं करना चाहिए. इससे आपका बृहस्पति मजबूत होगा और गुरुओं का आशीर्वाद प्राप्त होगा. आषाढ़ पूर्णिमा के अवसर पर चावल, शक्कर, दूध, दही, सफेद वस्त्र आदि का दान कर सकते हैं. इस दिन गीता या भागवत पुराण का दान करना चाहिए. रविवार होने के कारण आप स्नान के बाद सूर्य देव की पूजा करें और “ॐ घृणि सूर्याय नम:” मन्त्र से उन्हें अर्घ्य दें. सूर्य देव न केवल राजसत्ता और सरकारी नौकरी का ग्रह हैं बल्कि स्वास्थ्य के देवता भी हैं. गुरु पूर्णिमा के दिन गौशाला में गाय का पूजन करें, उन्हें हरी घास खिलाएं. इस दिन सकल विद्याओं और योग के देवता भगवान शिव् की पूजा जरुर करनी चाहिए. शिवलिंग पर जल से अभिषेक करें, दूध चढ़ाएं. ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जप करते हुए शिवलिंग पर चंदन का लेप करें. जो हनुमान के भक्त हैं उन्हें हनुमान की पूजा करनी चाहिए. वैष्णव धर्म में हनुमान जी भक्ति के गुरु मान्य हैं. हनुमान चलीसा में “श्री गुरु चरण सरोज राज ” द्वारा उनकी गुरु रूप में स्तुति की गई है.

यदि आप देवी उपासक हैं तो पूर्णिमा में उनकी उपासना विशेष रूप से करना चाहिए. पूर्णिमा में लक्ष्मी की विशेष रूप से पूजा करना चाहिए. ऐसा शास्त्रों में कहा गया है कि पूर्णिमा में पूजा, मन्त्र जप इत्यादि करने से देवी अवश्य प्रसन्न होती हैं और साधकों की मनोकामनाएं पूरी करती हैं.

पंचांग- पंचांग के अनुसार, आषाढ़ माह की पूर्णिमा तिथि का आरंभ 20 जुलाई 2024 को शाम 5 बजकर 59 मिनट पर होगा और अगले दिन यानी 21 जुलाई को दोपहर 03 बजकर 46 मिनट पर समाप्त होगा. इसलिए उदयातिथि के अनुसार,21 जुलाई को आषाढ़ पूर्णिमा मनाई जाएगी.

आषाढ़ पूर्णिमा के दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान-दान का बड़ा महत्व है. इस दिन ब्रह्म मुहूर्त की शुरुआत सुबह 04 बजकर 14 मिनट पर होगी और 04 बजकर 55 मिनट पर समाप्ति होगी.  21 जुलाई को सुबह 05:37 ए एम से 22 जुलाई को 12:14 ए एम तक सर्वार्थ सिद्धि योग है इसलिए पूजा पाठ कभी भी कर सकते हैं. पर्व में मुहूर्त का बहुत महत्व नहीं होता क्योंकि पूरा दिन शुभ होता है.

भगवान वेदव्यास की ऐसे करें पूजा –

भगवान वेदव्यास सनातन धर्म में विष्णु के अवतार हैं. जब भी धर्म क्षीण होता है. वेद मार्ग से मनुष्य विचलित होता है तब तब भगवान शिव शंकराचार्य के रूप में अवतरित होते हैं और भगवान विष्णु वेदव्यास के रूप में अवतरित होते हैं और सूत्र-भाष्य करके शास्त्रविहित धर्म को पुन: स्थापित करते हैं.
शंकरं शंकराचार्यं केशवं बादरायणम् ।
सूत्रभाष्यकृतौ वन्दे भगवन्तौ पुनः पुनः ॥ 

गुरु पूर्णिमा के दिन भगवान वेदव्यास का नाम स्मरण करें. उनके नाम मन्त्र “ॐ वेदव्यसाय नम:” बोलकर उन्हें पुष्प, धूप इत्यादि अर्पित करें और उनके लिए मधु मिश्रित जल से अर्घ्य प्रदान करें. उन्हें खीर का भोग अर्पित करें और दंडवत होकर उन्हें प्रणाम करें.