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अनंत अर्थात शेषनाग वैष्णवों के देवता हैं. इनको ही अनंत, शेष, अहिर्बुध्न्य और संकर्षण इत्यादि नाम से जाना जाता है. संकर्षण या अनंत पांचरात्रि वैष्णवों के एक व्यूह हैं. पंचरात्रि तांत्रिक वैष्णवों ने वासुदेव, संकर्षण, प्रद्युम्न और अनिरुद्ध ये चार प्रमुख व्यूह अवतरण संहिता ग्रन्थों में किया था जो कालान्तर में वैष्णव धर्म में प्रसिद्ध हुए. सनातन धर्म को पुन: स्थापित करने वाले आदि शंकराचार्य ने इसे वेदविरुद्ध कह कर इसका खंडन किया था. वैष्णव पुराणों में भाद्रपद महीने की शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को अनंत की पूजा और व्रत का महात्म्य बताया गया है. तब से यह चतुर्दशी का व्रत किया जाता है. अगले  28 सितंबर, गुरुवार को भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी रहेगी. इस दिन अनंत चतुर्दशी पर्व मनेगा. ये दिन भगवान अनंत को समर्पित है. इस दिन गणेश प्रतिमाओं का विसर्जन भी किया जाएगा. अनंत चतुर्दशी पर भगवान विष्णु के साथ अनंत सूत्र का पूजन कर कलाई में बांधा जाता है. यह अनंत सूत्र ही सब कुछ है. मान्यता है कि ऐसा करने से रुपया पैसा आता है और परेशानियां दूर होती हैं. पुराणों के अनुसार अनंत चतुर्दशी का व्रत करने से सभी कष्ट दूर होते है. पहले गाँव में ब्राह्मण आते थे धागा सूत्र लेकर और सबको अनंत को बांधते थे. अनंत चतुर्दशी की कथा यहाँ पढ़े विस्तार से समझाया गया है .

पूजा मुहूर्त –

उदया तिथि के अनुसार, अनंत चतुर्दशी 28 सितंबर, गुरुवार को है. चतुर्दशी तिथि का आरंभ 27 सितंबर को रात 10 बजकर 18 मिनट पर शुरू होगा और इसका समापन 28 सितंबर को शाम 6 बजकर 49 मिनट पर होगा. अनंत चतुर्दशी का पूजा का मुहूर्त सुबह 6 बजकर 12 मिनट से लेकर शाम 6 बजकर 49 मिनट तक रहेगा. 

व्रत की विधि
1. 
इस दिन सबसे पहले स्नान करने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करके व्रत का संकल्प लें।
2. यदि बन सके तो एक स्थान को या चौकी आदि को मंडप रूप देकर उसमें भगवान की सात फणों वाली शेष स्वरूप अनंत की मूर्ति स्थापित करें. उसके आगे 14 गांठ का अनंत सूत्र रखें और अशोक पेड़ के नए पत्ते, गंध, फूल, धूप, दीप, नैवेद्य लगाकर पूजन करें.
3. पूजन में पंचामृत, पंजीरी, केले, और मोदक आदि का प्रसाद अर्पण करके इस मंत्र के साथ प्रभु को नमस्कार करें.
4. पूजा में रखे गए इस सूत्र को इस मन्त्र से बाँध ले –
अनन्त संसार महासमुद्रे मग्नान् समभ्युद्धर वासुदेव।
अनन्तरूपे विनियोजितात्मा ह्यनन्तरूपाय नमो नमस्ते।।
पुरुष दाहिने हाथ में और स्त्रियां बाएं हाथ में बांधती हैं. पूजन के दौरान जब अनंत सूत्र बांध लें तो उसके बाद किसी ब्राह्मण को नैवेद्य में बने पकवान और दान देकर स्वयं सपरिवार प्रसाद ग्रहण करें.
5. पूजा में व्रत की कथा सुनें. नियमों का पालन करें. कथा सुनते समय ध्यान करें कि समुद्र के भीतर भी कई लवण, घृत इत्यादि के समुद्र हैं जिसमे अंतिम समुद्र क्षीर का बना है जिसमें अनंत नामक विशाल सर्प सात फणों के साथ विराजमान है. उसी पर विष्णु सोये हुए हैं. अघोरी मदिरा समुद्र का ध्यान करते हैं.

इसको पढ़ें 4 भाग में लिखे आर्टिकिल में अनंत के उद्भव के बारे में बताया गया है ..