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अक्षय तृतीया बहुत शुभ तिथि है और इसके माहात्म्य का वर्णन पुराणों में प्राप्त है. अक्षय तृतीया या आखा तीज वैशाख मास में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को कहते हैं. इस तिथि को युगादि तिथियों में माना गया है, इसी दिन त्रेता युग का प्रारंभ हुआ था. पौराणिक ग्रन्थों के अनुसार इस दिन जो भी शुभ कार्य किये जाते हैं, उनका अक्षय फल मिलता है. इसी कारण इसे अक्षय तृतीया कहा जाता है. इस दिन धन की देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है. इस दिन सोना, चांदी इत्यादि भी खरीदा जाता है. अक्षय तृतीया तिथि सोना खरीदने के लिए शुभ मानी जाती है. यह पर्व हर साल वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को पड़ता है. ज्योतिष के अनुसार, अक्षय तृतीया के दिन विवाह, सगाई, विदाई, वाहन और मकान की खरीदारी समेत सभी शुभ कार्य किए जाते हैं. अक्षय तृतीया एक शुभ तिथि है इसलिए पूरा दिन ही शुभ रहता है. यह तिथि यदि सोमवार तथा रोहिणी नक्षत्र के दिन आए तो इस दिन किए गए दान, जप-तप का फल बहुत अधिक बढ़ जाता हैं. इसके अतिरिक्त यदि यह तृतीया मध्याह्न से पहले शुरू होकर प्रदोष काल तक रहे तो बहुत ही श्रेष्ठ मानी जाती है.

अक्षय तृतीया मुहूर्त-

वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि की शुरुआत 29 अप्रैल को संध्याकाल 05 बजकर 31 मिनट पर हो रही है. और  तृतीया तिथि का समापन 30 अप्रैल को दोपहर 02 बजकर 12 मिनट पर होगा. उद्यातिथि के अनुसार 30 अप्रैल को अक्षय तृतीया का व्रत पूजन होगा. मनाया जाएगा. इस दिन पूजा का शुभ समय सुबह 05 बजकर 41 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 18 मिनट तक है. अक्षय तृतीया की पूजा का शुभ समय सुबह सूर्योदय रखना चाहिए जब सूर्य की लालिमा दिखती हो. इसके इतर अपने लग्न में कर सकते हैं या शुभ मुहूर्त देख कर कर सकते हैं.

अक्षय तृतीय को सोना, चांदी, कार, बंगला इत्यादि खरीदने के आलावा नवीन वस्त्र, आभूषण आदि धारण करने और नई संस्था, समाज आदि की स्थापना या उदघाटन का कार्य भी श्रेष्ठ माना जाता है. अक्षय तृतीया के दिन पौधे लगाना भी बहुत अच्छा माना जाता है. इस तिथि पर पीपल, आम, पाकड़, गूलर, बरगद, आंवला, बेल, आदि के वृक्ष लगाए जा सकते हैं. ऐसी मान्यता है कि इस मौके पर घर या फिर किसी भी पवित्र स्थान पर पौधे लगाने से पुण्य फलों की प्राप्ति होती है.

क्या करें –

1- अक्षय तृतीया के दिन सोना, चांदी इत्यादि बहुमूल्य वस्तुओं की खरीदारी करें.

2-अक्षय तृतीया के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करके संकल्प लेकर व्रत करें और लक्ष्मी सहित भगवान विष्णु की विधि विधान से पूजा करें. इस दिन लक्ष्मी नारायण की पूजा श्वेत कमल अथवा श्ववेत गुलाब व पीले गुलाब से करनी चाहिये.

3- लक्ष्मी जी और भगवान नारायण को नैवेद्य में जौ व गेहूँ का सत्तू, ककड़ी और चने की दाल अर्पित किया जाता है. इस दिन दान का फल अक्षय होता है. फल, फूल, पात्र, तथा वस्त्र आदि दान करके दक्षिणा देना चाहिए और ब्राह्मण को भोजन करवाना चाहिए. इससे कल्याण होता है.

4- मान्यता है कि इस दिन सत्तू अवश्य खाना चाहिए तथा नए वस्त्र और आभूषण पहनने चाहिए. यह तिथि वसन्त ऋतु के अन्त और ग्रीष्म ऋतु का प्रारम्भ का दिन भी है इसलिए अक्षय तृतीया के दिन जल से भरे घड़े, कुल्हड, सकोरे, पंखे, खडाऊँ, छाता, चावल, नमक, घी, खरबूजा, ककड़ी, शक्कर, साग, इमली, सत्तू आदि घर्मी में लाभकारी वस्तुओं का दान पुण्यकारी माना गया है.

5-इस दिन पियाऊ लगाना चाहिए. राहगीरों को ठंडा जल पीने के लिए कुछ न कुछ व्यवस्था करना चाहिए ताकि गर्मी भर उन्हें शीतल जल मिल सके. मन्दिर इत्यादि के पास ठंडा फ्रिज, घड़े इत्यादि रखने चाहिए.