श्री रामानुजाचार्य के श्री वैष्णव सम्प्रदाय ही दार्शनिक रूप से सभी वैष्णव सम्प्रदायों में सबसे बेहतर है. आदि शंकराचार्य के 500 वर्ष बाद रामानुज ने ही प्रस्थानत्रयी पर थोड़ा अच्छा भाष्य किया था. रामानुज एक मिश्रित परम्परा के संस्थापक हुए जिसके धर्म दर्शन में प्रस्थानत्रयी के दर्शन के साथ पांचरात्र तंत्र, बैखानसों का कर्मकांड और पुराण गड्डमड है. इसके इतर तमिल विश्वास भी सम्प्रदाय की धार्मिक सोच में समाहित है. रामानुज ब्रह्मसूत्र भाष्य में भी पुराण उधृत करते हैं मानों यह भी श्रुति प्रमाण हैं लेकिन आदि शंकर को ऐसा करते हुए नहीं पाते. इन्होने श्री अर्थात देवी लक्ष्मी को अपने सम्प्रदाय का आद्यगुरु बनाया था. लेकिन क्यों बनाया? यह भी दार्शनिक रूप से चिंतनीय है. इनके दर्शन में लक्ष्मी तो माया है, त्रिगुणात्मक प्रकृति है जो जड़ तत्व है. इसे ही श्रुतियों में अविद्या कहा गया है, तो ऐसे में वह आद्य गुरु कैसे हो सकती है? ज्ञान रूप में ब्रह्म की ही स्थिति शास्त्रों में कहा गया है “य: सर्वज्ञ: सर्ववित्”. सृष्टि रचना बिना ज्ञान के सम्भव भी नहीं है. ऐसे में जिस त्रिगुणात्मक प्रकृति द्वारा ईश्वर प्रपंच की सृष्टि करता है, वह ज्ञान प्रदान करने में सक्षम नहीं हो सकती. यह भी लिखा ही गया है कि उस ईश्वर ने सृष्टि के प्रारम्भ में ब्रह्मा को ज्ञान प्रदान किया “तेने ब्रह्महृदा य आदिकवये मुह्यन्ति यत्सूरयः” ऐसे में किस विधि से और कैसे उसने श्रीवैष्णवों को ज्ञान दिया? स्पष्ट है ये पांचरात्र तन्त्र और कर्मकांडी बैखानसों के सिद्धांत पर ही प्रमुख रूप से आधारित है न कि वेदांत के दार्शनिक सिद्धांतों पर. पांचरात्र का उपदेश प्रारम्भ में असुरों के विनाश के लिए किया गया था. यह सम्प्रदाय ही माया में स्थित है इसलिए ये वैष्णव धन लोलुप हैं और लड्डू प्रसाद बेचते हैं. वैष्णव भ्रष्ट रहे हैं और 11वीं शताब्दी से सिर्फ अज्ञानता का प्रसार करते रहे हैं.
तिरुपति मन्दिर इन्ही वैष्णवों की क्षत्रछाया में चलता है जिसमे लड्डू प्रसाद का व्यापार किया जाता है. तिरुपति लड्डू में बीफ का घी और मछली का तेल पाया गया. चन्द्रबाबू नायडू और भाजपा ने मिलकर मन्दिर के खिलाफ साजिश की और गुजरात की आरएसएस प्रयोगशाला से बीफ का सर्टिफिकेट दिलाया तथा गोदी मीडिया में मन्दिर के लड्डू के खिलाफ व्यापक दुष्प्रचार किया. श्री वैष्णव सम्प्रदाय के तिरुपति श्रीरंगम रामानुज जीयर मठ के मठाधीशों के निरीक्षण में यह सब पाप मंदिर में हुआ. वैष्णवों का यह मन्दिर 1000 साल से पुराना है और हिन्दुओं का सबसे धनी मन्दिर है. हिंदूओं का यह एक शक्तिशाली मन्दिर है और ब्रांड है जिस पर सबको गर्व था. मन्दिर का लड्डू प्रसाद भी स्वयं में एक ब्रांड था जिसको विशेष कटेगरी में टैग मिला हुआ था. इस लड्डू को कोई अन्य नहीं बना और बेच नहीं सकता है. मन्दिर के देवता भगवान वेंकटेश्वर और मन्दिर के बारे में वैष्णव पौराणिक तरीके से बताते हैं कि इन रहस्यों से वैज्ञानिक भी हतप्रभ रहते हैं. मूर्ति में पसीना आता है इसलिए तापमान नियंत्रित करके रखते हैं, भगवान वेंकटेश्वर स्वामी की मूर्ति पर जो बाल लगे हैं वो असली हैं. यह बाल कभी भी उलझते नहीं हैं और हमेशा रेशमी मुलायम रहते हैं. श्री वेंकेटेश्वर की मूर्ति गर्भगृह के मध्य में है, लेकिन जैसे ही गर्भगृह के बाहर आओगे तो चौंक जाओगे क्योंकि बाहर आकर ऐसा प्रतीत होता है कि भगवान की प्रतिमा दाहिनी तरफ स्थित है. मूर्ति को स्त्री और पुरुष दोनों के वस्त्र पहनाये जाते हैं, भगवान का श्रृंगार हटाकर स्नान कराकर चंदन का लेप लगाया जाता है और जब इस लेप को हटाया जाता है तो भगवान वेंकेटेश्वर के हृदय में माता लक्ष्मी जी की आकृति दिखाई देती है. मंदिर में एक दीया हमेशा जलता रहता है और इस दीपक में कभी भी तेल या घी नहीं डाला जाता. बाल्यावस्था में छड़ी से भगवान वेंकेटेश्वर की पिटाई की गई थी जिसकी वजह से उनकी ठुड्डी पर चोट लग गई थी इसलिए मूर्ति की ठुड्डी में चन्दन लगाया जाता है और मूर्ति में न जाने कौन कौन से विचित्र रहस्य हैं.

इन रहस्यों के बावजूद इस मन्दिर के देवता पांच साल तक बीफ-घी में पके लड्डू खाते रहे और वह लड्डू भक्तों को बेचा जाता रहा. आरएसएस-भाजपा के नरेंद्र मोदी ने चन्द्रबाबू नायडू से मिलकर तिरुपति मन्दिर और उसके देवता भगवान वेंकटेश्वर को अंतराष्ट्रीय स्तर पर जलील किया और इस पवित्र मन्दिर की साख को कमोवेश खत्म करने का काम किया. यह काम हिन्दू धर्म के सबसे बड़े दुश्मन मुगल 700 साल में नहीं कर सके और ईसाई ब्रिटिश भी नहीं कर सके. कमोवेश 50 साल पूर्ण बहुमत की सरकार चलाने वाली कांग्रेस भी यह काम नहीं कर पाई जबकि उस समय कोई विपक्ष भी मौजूद नहीं था. इस कांग्रेस को आरएसएस-भाजपा पिछले 30 साल से एंटी-हिन्दू कह रही है और इसके खिलाफ दुष्प्रचार व्यापक दुष्प्रचार किया है. TDP-भाजपा के राजनीतिक षड्यंत्र से जो मन्दिर का नुकसान हुआ है और हिन्दू श्रद्धालुओं के विश्वास को जिस तरह से जोर का धक्का लगा है, वह ऐतिहासिक है. मन्दिर की स्थापना से अब तक अनेक आक्रान्ता आये, मुगलों ने शासन किया, ब्रिटिश ने शासन किया लेकिन मन्दिर को कभी कोई नुकसान नहीं किया गया. लेकिन भाजपा के तथाकथित हिंदुत्व फासिस्ट राज में मन्दिर में जानवरों का घी और मछली का तेल प्रविष्ट करा दिया गया और उसकी पोल खोल कर “बीफ.. बीफ ..लड्डू में बीफ.. मन्दिर में बीफ ” कह कर उसका दुष्प्रचार किया गया. गौरतलब है कि आरएसएस-भाजपा न केवल बीफ की राजनीति करती हैं बल्कि बीफ को मन्दिर फेंक कर दंगा कराते रहे हैं. भाजपा ने बीफ एक्सपोर्ट करने वाली कम्पनियों से 500 करोड़ बांड में चुनाव जीतने के लिए दान लिया था. भाजपा शासित राज्य बीफ उत्पादन में सबसे अग्रणी हैं.
अब जबकि तिरुपति देवस्थानम को भ्रष्ट किया जा चूका है और इसमें पाप प्रविष्ट हो गया है तो ऐसे में इसका पवित्रीकरण किया ही जाना चाहिए. तिरुपति देवस्थानम ट्रस्ट के कहा है कि लड्डू प्रसाद में बीफ का घी और मछली का तेल है, एक राजनीतिक दुष्प्रचार है. लेकिन फिर भी मन्दिर को पवित्र किया गया है. मन्दिर और किचन के पवित्रीकरण का कार्य चार घंटे से ज्यादा चला था. यह वीडियो देख लें –

