
आदि शंकराचार्य महर्षि वशिष्ठ, पराशर, गौड़पाद, शुकदेव की परम्परा के ऋषि थे. आदि शंकर एक दार्शनिक और महान तपस्वी थे, वे उपनिषद ऋषि परम्परा के वाहक थे. वैदिक पंचांग के अनुसार उनका जन्म BC 509 में वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी के दिन हुआ था. उनका जन्म पंचमी को हुआ था लेकिन वर्ष निश्चित नहीं है, कुछ इतिहासकार उनका जन्म सातवीं शताब्दी में बताते हैं. आदि शंकर द्वारा स्थापित चारो मठ ((१) ज्योतिष्पीठ बदरिकाश्रम, (२) श्रृंगेरी पीठ, (३) द्वारिका शारदा पीठ और (४) गोवर्धन पीठ जगन्नाथ पुरी) उनका जन्म वर्ष अलग अलग बताते हैं. गोवर्धन मठ के वर्तमान शंकराचार्य जगद्गुरु स्वामी निश्चलानन्द जी महाराज आदि शंकर का जन्म ईसा पूर्व 500 के आसपास ही बताते हैं.
कुमारिल भट्ट जो कि शंकराचार्य के समकालीन थे. एक जैन ग्रन्थ ‘जिन विजय’ में लिखा है –
ऋषिर्वारस्तथा पूर्ण मर्त्याक्षौ वाममेलनात्।
एकीकृत्य लभेतांक:क्रोधीस्यात्तत्र वत्सर:। ।
भट्टाचार्यस्य कुमारस्य कर्मकाण्डैकवादिन:।
ज्ञेय: प्रादुर्भवस्तस्मिन् वर्षे यौधिष्ठिरे शके।।
इसके अनुसार आदि शंकराचार्य का जन्म 500 BC में ही सिद्ध होता है. जगद्गुरु आदि शंकराचार्य का जन्म केरल के कालडी गांव में नम्बूदरीपाद ब्राह्मण के कुल में हुआ था. इनके पिता का नाम शिवगुरु भट्ट माता का नाम अयंबा था. उन्हें हिंदू धर्म के सबसे महान आचार्यों में से एक माना जाता है. वर्तमान हिन्दू धर्म आदि शंकर की ही देन है. उन्होंने सभी श्रुतियों पर भाष्य किया था, यह किसी भी आचार्य द्वारा किया गया पहला भाष्य है. जिस प्रकार वेदव्यास ने वेदों का विभाग किया था, उसी प्रकार आदि शंकर ने सभी श्रुतियों पर भाष्य किया. उनके बाद ही अन्य रामानुज आदि आचार्यों ने भाष्य शुरू किया और उसके आधार पर अपने सम्प्रदाय को स्थापित किया.
एक अर्थ में कहा जा सकता है कि उनके बाद जितने हिन्दू धर्म में आचार्य हुए सब उनके पीछे चलने वाले थे, उनके अनुगामी थे. भगवद्गीता आज एक विश्व प्रसिद्ध ग्रन्थ है, उसकी प्रसिद्धि के पीछे भी आदि शंकर हैं. उन्होंने इसे महाभारत से निकाल कर एक स्वतंत्र ग्रन्थ के रूप में सामने रखा और उस पर भाष्य लिखा. आदि शंकर ने भगवद्गीता, उपनिषदों और वेदांतसूत्रों पर पर जो भाष्य लिखा, वही कालान्तर में सभी आचार्यों का मार्गदर्शक बना. उनके भाष्यों में भगवद्गीता के उद्धरण अनेक सन्दर्भों में मिलता है. इस महान ऋषि के प्रति हर हिन्दू ऋणी है. कल 2 मई को आदि शंकराचार्य की जयंती है, इस दिन उनका पूजन करना चाहिए.
मुहूर्त –
वैदिक पंचांग के अनुसार आदि शंकराचार्य जयंती वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि 1 मई दिन गुरुवार को है. पंचमी तिथि सुबह 11 बजकर 23 मिनट पर शुरू होगी. यह तिथि 2 मई को सुबह 9 बजकर 14 मिनट पर समाप्त होगी. उदया तिथि के अनुसार आदि शंकराचार्य जयंती 2 मई को मनाई जाएगी.