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सभी जानते हैं मनमानी करने वाले अधर्मी नरेंद्र मोदी ने चातुर्मास्य में देवशयनी एकादशी के उपरांत अशुभ राहुकाल में राम मन्दिर भूमि का पूजन किया था. चातुर्मास्य में देवशयनी एकादशी के बाद शुभ कार्य नहीं होते, कमसे मन्दिर निर्माण का कार्य नहीं होता. सनातन धर्म में पत्नीविहीन सिर्फ संत और सन्यासी को ही यज्ञ की अनुमति है. पत्नीविहीन व्यक्ति सत्यनारायण भगवान की कथा भी नहीं सुन सकते क्योंकि यह यज्ञ सृष्टि कर्म है जिसमे पत्नी की आवश्यकता होती है. मोदी ने भूमि पूजन भी पत्नीविहीन रहकर किया. मोदी ने पत्नी का त्याग कर उसे त्याज्या की तरह जीवन जीने पर मजबूर किया लेकिन उसके नाम का उपयोग अपने राजनीतिक उद्देश्य की पूर्ति के लिए किया. मोदी ने हलफनामे में जशोदाबेन को अपनी पत्नी बताया है लेकिन उस पत्नी को उसका कोई अधिकार नहीं दिया. यह अधर्म और स्त्री के प्रति अनाचार है. यह सनातन धर्म की परम्परा के खिलाफ है.

राममन्दिर पूर्णत: बन कर तैयार नहीं है लेकिन ग्रहप्रवेश किया जा रहा है? वास्तु शास्त्र के अनुसार घर के पूर्ण निर्माण के बाद ही गृहप्रवेश का आदेश है. मन्दिर भगवान का घर है, यहाँ भगवान को प्रवेश करना था. इतनी अफरातफरी में गृहप्रवेश और प्राणप्रतिष्ठा चुनावी लाभ लेने के लिए किया जा रहा है. ये अधर्मी न वास्तुशास्त्र को मानते, न धर्म को मानते हैं और न ज्योतिष को ही मानते हैं. ये अधर्मी शास्त्र को भी नहीं मानते.

शास्त्रीय मर्यादा और धर्म को समझने वाले शंकराचार्य ने जो कुछ कहा उसे सनातनी हिन्दू को समझना चाहिए. हिन्दू धर्म राजनीति का अखाड़ा नहीं है. फासिस्ट संगठन RSS कालनेमियों का गिरोह है जिसमें उनके द्वारा उत्पादित राजनीतिक बाबा है. ये अनैतिक, बलात्कार समर्थक अधर्मी वो सभी कर्म करते हैं जो सनातन धर्म के खिलाफ है. इनका उद्देश्य सनातन धर्म की परम्पराओं का विनाश करना है. राममन्दिर के लिए शंकरचार्यों ने भी अथक परिश्रम किया था, वे आरएसएस के अधर्म से बेहद चिंतिंत हैं.