ज्योतिष ग्रन्थों में जन्म कुंडली में पांच-ग्रह या छह ग्रह के एक राशि में होने का फल लिखा गया है लेकिन उन फलों की सत्यता संदिग्ध है क्योंकि उसका कोई आधार नहीं है. उन मध्ययुगीन ज्योतिष के विद्वानों नें जातकों की जन्मकुंडलियों के आधार पर मोटा मोटा फलादेश कर दिया है. उदाहरण के लिए एक राशि में सूर्य, बुध, मंगल, शुक्र हों तो जातक दूसरे की स्त्री में रत, कमजोर, बलहीन, बुद्धि धन की चोरी में लगने वाली होती है. अमिताभ बच्चन की कुंडली में एक राशि में ये चार ग्रह हैं. बच्चन पैसे के लालची और स्वार्थी हैं लेकिन चोर नहीं हैं अथवा बलहीन और कमजोर नहीं हैं. इसी प्रकार गोचर में पांच-छह ग्रह या सप्त-ग्रह-योग देखने को मिले तो स्पष्ट फलादेश करना कठिन होता है. ऐसा ज्यादातर ज्योतिष विद्वान् मानते हैं कि छह ग्रह या सात ग्रह एक ही राशि में आ जाएँ तो बड़े परिवर्तन की सम्भावना रहती है.
सितंबर 1861 में सिंह-राशि में छह ग्रह एक साथ थे. सिंह-राशि युद्ध व पौरुष की सूचक है. फलस्वरूप अमेरिका का चार साला तथा इटली का युद्ध सामने आया. वर्ष 1901 दिसम्बर को धनु-राशि में पंच-ग्रह-योग उपस्थित था जिसके कारण विक्टोरिया का राज्य-काल समाप्त हो गया. नवम्बर 1910 के प्रथम सप्ताह में सप्त-ग्रहयोग तुला-राशि में थे इस युति से पांच महीने पहले जार्ज पंचम भारत के राजा बने और मदन मोहन मालवीय ने काशी में पहला हिंदी सम्मेलन किया. इस समय मैक्सिको में क्रांति का आगाज हुआ,अमेरिका के मिनेसोटा में लगी Baudette fire बहुत बड़ी थी. 1921 के अक्टूबर माह में कन्या-राशि में एक होने वाले छह ग्रहों की युति थी इस समय’ गाँधी का अवज्ञा-आंदोलन भारत के एक छोर से दूसरे छोर तक पहुच गया था. फिर 15 अगस्त 1941 को कर्क-राशि में पंच-ग्रह-योग उपस्थित थे. भरत में विदेशी-शासन का अन्त तथा भारत और पाकिस्तान का जन्म हुआ. ग्रहों की संख्या मात्र से फलादेश करना उचित नहीं, अन्य बातें जैसे युति में प्रभावशाली ग्रहों, राशियों की दिशा, शनि-बृहस्पति की युति का क्रम, नक्षत्र इत्यादि पर विचार करना आवश्यक होता है. कर्क और मकर विशिष्ट संक्रान्ति राशि होने से उनमें होने वाले योग असाधारण महत्व रखते हैं.
सन 1962 चन्द्रमा के मकर-राशि में प्रवेश करते ही 3-2-1962 तक आठ ग्रह थे. उसके बाद क्रम से सप्त, षष्ठ और पंचग्रह होते गये. साथ में 5-2-1962 को प्रातः 5-40 के करीब सूर्य-ग्रहण लगा. उस समय पर सभी ग्रहों की स्थिति निम्नलिखित थी-रवि और चन्द्र 293.51’ मंगल-280.30’ बुध-295.-4’ गुरु 296.45’ शुक्र 295.-55’ शनि 281.57 राहू-116.-18’ और केतू-296.-81’
वारहमिहिर के अनुसार योग पाँच प्रकार के हैं-1. समाज 2. कोश 3. सन्निपात 4. समागम 5. समावर्त . जब 4 या 5 ग्रह एक ही राशि में मिलते हैं तब समावर्त होता है, इसी में जब राहू या केतु भी हों तो वह संमोह बन जाता है. चूँकि उपर्युक्त योग में शनि-गुरु भी शामिल हैं अतः वह कोश भी हैं. संमोह और कोश सर्व साधारण के लिये हानिकारक समझे जाते हैं. (संमोह कोशौ भयद्रौप्रजानाम्). इस योग द्वारा प्रभावित दो नक्षत्र-श्रवण और घनिष्ठा थे. चूँकि सूर्यग्रहण मकर-राशि में है अतः मछलियों का विनाश, मंत्रीगण एवं उनके परिवार की हानि और सैनिक एवं शुद्ध लोगों का नाश सम्भावित है. जहाँ तक मौसम का प्रश्न है इस योग के कारण इंग्लैंड तथा अन्य पश्चिमीय यूरोपीय देशों में बेहद ठंड पड़ी. उसी प्रकार अफ्रीकी के दक्षिणी देशों तथा भारत में असाधारण गर्मी पड़ी.
नेहरूजी की कुण्डली में मारक स्थान पर इन ग्रहों का योग उपस्थित था जो कि एक अच्छा संकेत नहीं था. इस योग का परिणाम हुआ कि नेहरूजी चुनाव में विजयी हुए लेकिन साथ ही भारत-चीन युद्ध भी हुआ. इस युद्ध के कारण नेहरु को अपमानित भी होना पड़ा. देश में आकस्मिक राष्ट्रीय-संकट का उपस्थित हो गया था. चूँकि यह ग्रह योग भारत की कुण्डली के दसवें हॉउस में हुआ इसलिए दोनों घटनाएँ घटीं. नेहरु की कुंडली में सप्तम हॉउस में हुआ इस कारण उनकी अंतराष्ट्रीय कूटनीति ने उनका साथ दिया.
हालिया में दिसम्बर 26, 2019 को सात ग्रह शनि, बृहस्पति, सूर्य , चन्द्र, केतु, बुध, प्लूटो धनु राशि में थे. इस दिन अमावस्या थी. इसके बाद ही कोरोना का विस्फोट हुआ और देश दुनिया में लाखों लोग मारे गये.

