पुष्कर नवांश में स्थिति ग्रहों के शुभ प्रभाव का ज्योतिष ग्रन्थों में विस्तृत जिक्र है। पुष्कर जैसा नाम से ही स्पष्ट है पुष+कर- पुष्य से बना पुष, जो बृहस्पति का सबसे शुभ और प्रभावशाली नक्षत्र है। पुष्य बहुत शुभ माना गया है इसलिए गुरु जब पुष्य में हो तो पुष्य स्नान का महत्व है। शैव ग्रंथों में इसका महात्म्य बताया गया है। पुष मतलब शुभ, कर मतलब करना अर्थात पुष्कर नवांश में स्थित ग्रह अत्यंत शुभकारी परिणाम देता है। पुष्कर नवांश ग्रहों की शक्ति और शुभत्व को बढ़ा देता है।
जब गुरु मेष में होते हैं तब इन दो पुष्कर नवांशो में गंगा स्नान का महात्म्य है। हर राशि में दो पुष्कर नवांश होते हैं और इसलिए प्रतिदिन दो पुष्कर मुहूर्त भी होते हैं जो मध्याह्न काल में पड़ते हैं। पूरा राशि चक्र 360 डिग्री का होता है जिसमे हर राशि के पुष्कर नवांश के क्रम से कुल 24 पुष्कर नवांश होते हैं। शुक्र, गुरु, चंद्र व बुद्ध के नवांश को ही “पुष्कर नवांश” कहा गया है। २४ पुष्कर में से ९ के स्वामी “गुरु”, ९ के स्वामी “शुक्र” ३ के स्वामी “चंद्र” और ३ के स्वामी “बुद्ध” हैं। 24 पुष्कर नवांश में 3 ही वर्गोत्तम नवांश होते है – वृष का 5वां नवांश, कर्क का पहला नवांश और धनु का 9वां नवांश. पुष्कर नवांश सभी शुभ ग्रहों के ही हैं किसी क्रूर -अशुभ ग्रह के पुष्कर नहीं हैं। राशियों में अग्निप्रधान क्रूर राशियों के पुष्कर नवांश नहीं होते मसलन बुध के कन्या का पुष्कर नवांश होता है लेकिन मिथुन का नहीं होता। शनि-मंगल की किसी राशि का पुष्कर नवांश नहीं होता। सूर्य सुख कारक नहीं है इसलिए सूर्य का भी पुष्कर नवांश नहीं होता। इन पुष्कर नवांशो और उनकी डिग्री अर्थात पुष्कर भाग का फलादेश’ में विशेष महत्व है। इन पुष्कर नवांशो में स्थित ग्रह विशेष शक्तिशाली और शुभ फल देने वाला हो जाता है। ऐसा माना जाता है कि सभी ग्रह इन पुष्कर नवांशों में होकर पुष्कर स्नान करते हैं और स्वयं को पवित्र कर सकारात्मक ऊर्जा की वृद्धि करते हैं।
राशियों के पुष्कर नवांश इस प्रकार हैं –
| राशि -तत्व | पुष्कर भाग | पुष्कर नवांश |
| अग्नि तत्व – मेष , सिंह , धनु | 20 डिग्री से 23 डिग्री 20″ | तुला |
| 26 डिग्री से 30 डिग्री 00″ | धनु | |
| पृथ्वी तत्व – वृषभ, कन्या, मकर | 06 डिग्री 40″ से 10 डिग्री 00″ | मीन |
| 13 डिग्री 20″से 16 डिग्री 40″ | वृषभ | |
| वायु तत्व– मिथुन , तुला , कुम्भ | 16 डिग्री 40″ से 20 डिग्री 00″ | मीन |
| 23 डिग्री 20″ से 26 डिग्री 40″ | वृषभ | |
| जल तत्व -कर्क, वृश्चिक, मीन | 00 डिग्री 00″ से 03 डिग्री 20″ | कर्क |
| 06 डिग्री 40″ से 10 डिग्री 00″ | कन्या |
पुष्कर नवांश ६ राशियों के नहीं होते -मेष, मिथुन, सिंह, मकर, कुम्भ और वृश्चिक
पुष्कर भाग या अंश.. यह राशि की विशेष डिग्री है जहाँ ग्रह में शुभ करने की शक्ति प्राप्त होती है .
राशियों की पुष्कर डिग्री निम्नलिखित है :
21º मेष (तुला नवांश – भरणी)
19º सिंह मतान्तर से 21 डिग्री (कन्या नवांश- पूर्वफाल्गुनी)
23º धनु मतान्तर से 21 डिग्री (तुला नवांश- उत्तराषाढा)
14º वृषभ (स्व नवांश- वर्गोत्तम – रोहिणी),
9º कन्या मतान्तर से 14 डिग्री (मीन नवांश- उत्तर फाल्गुनी),
14º मकर (वृषभ नवांश- श्रवण)
18º मिथुन मतान्तर से 24 डिग्री (मीन नवांश- आर्द्रा),
24º तुला (वृषभ नवांश- विशाखा),
19º कुंभ मतान्तर से 24 डिग्री (मीन नवांश- शतभिषा)
8º कर्क मतान्तर से 7 डिग्री (कन्या नवांश -पुष्य )
11º वृश्चिक मतान्तर से 7 डिग्री (तुला नवांश – अनुराधा),
9º मीन मतान्तर से 7 डिग्री (कन्या नवांश – उत्तर भाद्रपद )
पुष्कर भाग के अंशो में मत वैभिन्यता है इसलिए अलग अलग ज्योतिषी अलग अंशों के अनुसार इसे देखते हैं, वैद्यनाथ दीक्षित द्वारा दिए गये पुष्कर भाग को ही ज्यादातर प्रयोग में लाया जाता है. पुष्कर अंश 30″ पुष्कर नवांश का मुहूर्त और फलादेश दोनों में ही बड़ा महत्व है। पुष्कर नवांश या भाग में लग्न, लग्नेश, दशमेश, नवमेश, पंचमेश पड़े तो कुंडली बहुत अच्छी हो जाती है।

