भगवान गणेश बुद्धि और ज्ञान के देवता है इनकी कृपा प्राप्त करने के लिए संकष्टी चतुर्थी का दिन बेहद खास माना जाता है. कार्तिक मास अति पवित्र होने के कारण इस मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि गणेश पूजा के लिए महत्वपूर्ण है. इस चतुर्थी को वक्रतुंड चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है. हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन करवा चौथ भी मनाया जाता है.
कार्तिक मास 29 अक्टूबर पूर्णिमा खत्म होने के बाद से प्रारम्भ हो जायेगा और 1 नवम्बर को वक्रतुंड संकष्टी चतुर्थी व्रत रखा जाएगा. वैष्णवों के एकादशी की तरह, शैवों के त्रयोदशी की तरह ही गाणपत्य सम्प्रदाय में प्रमुख रूप से चतुर्थी व्रत प्रसिद्ध है. इस व्रत से भगवान गणेश की कृपा हमेशा भक्तों पर बनी रहती है. चतुर्थी तिथि में ही करवा चौथ का व्रत रखा जाएगा. पति की दीर्घायु और संतान प्राप्ति के लिए सुहागिन महिलाएं इस व्रत को रखती है. इससे घर में सुख-शांति रहती है. इस दिन महिलाएं दिन भर निर्जला उपवास रखकर शाम को चंद्रमा निकलने के बाद अर्घ्य इत्यादि देकर उपवास खोलती हैं.
चतुर्थी मुहूर्त –
हिन्दू पंचाग के अनुसार,31 अक्टूबर को रात 9 बजकर 31 मिनट से चतुर्थी तिथि की शुरुआत हो रही है जो 1 नवम्बर को रात 9 बजकर 17 मिनट तक रहेगी. 1 नवम्बर सुबह 7 बजकर 40 मिनट से 9 बजकर 31 मिनट का समय शुभ है. इसके अलावा शाम को 7 बजकर 10 मिनट से 8 बजकर 20 मिनट तक आप गणपति की पूजन सम्पन्न कर गणेश जी का आशीर्वाद पा सकतें हैं.
करवा मुहूर्त –
करवा चौथ सर्वार्थ सिद्धि और शिव योग में मनाया जाएगा. सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 6.33 बजे से 2 नवम्बर को सुबह 4.36 बजे तक रहेगा. 1 नवम्बर की दोपहर 2.07 बजे से शिव योग रहेगा.
करवा चौथ व्रत समय – सुबह 06:36 – रात 08:26
करवा चौथ पूजा मुहूर्त – शाम 05.44 – रात 07.02 (1 नवंबर 2023)
चांद निकलने का समय – रात 08:26 (1 नवंबर 2023)
सूर्य-चंद्रमा कभी अस्त नहीं होते. चंद्रमा यदि दिखाई न पड़ें तो चन्द्रमा की उत्तर-पूर्व दिशा में पूजा कर के अर्घ्य देना चाहिए.

