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शरद ऋतु से पूर्ण पड़ने वाली शरद पूर्णिमा काफी शुभ और सुख प्रदायक होती है. लोक मान्यता है कि माता लक्ष्मी आश्विन मास की पूर्णिमा को समुद्र मंथन से उत्पन्न हुई थीं. आश्विन पूर्णिमा के दिन लक्ष्मीजी और चंद्रमा की पूजा का विधान रहता है परन्तु ग्रहण के कारण इसदिन रात्रि पूजन नहीं होगा. जिनको पूजन करना होगा उन्हें सूतक से पहले या पूर्णिमा के उपरांत 30 अक्टूबर को करना चाहिए .

आश्विन पूर्णिमा में दान-धर्म करने से सहस्रगुना पुण्य फल की प्राप्ति होती है. धर्म ग्रंथों में इस दिन घी दान का विशेष महत्व बताया गया है. इस दिन कांसे के बर्तन में घी भरकर दान करने से हर तरह के रोग और दोष खत्म हो जाते हैं. इस दिन तिल का दान करने से घर में होती है उन्नति.

शास्त्रों के अनुसार इस दिन घोड़े को चारा खिलाने से रुके काम बनते हैं और अश्विन देवताओं का आशीर्वाद मिलता है. अश्विन पूर्णिमा के स्नान के लिए घर पर ही पानी में गंगाजल की कुछ बूंदे डाल लेनी चाहिए. साथ ही पानी में आंवला या रस और अन्य औषधियां डालकर नहा लेने से हर तरह के पाप खत्म हो जाते हैं.

ग्रहण और सूतक

सूतक काल : शाम 4 बजे से रात 02.26 बजे तक।
ग्रहण काल : रात 01.05 से 02.24 बजे तक ।