ज्योतिष और हिन्दू धर्म में शमी के पौधे को बहुत ही पवित्र और पूजनीय माना गया है. यह शनि का वृक्ष है. इसकी उम्र चार सौ साल से ज्यादा होती है. मान्यता है कि ये पौधा घर में सुख समृद्धि के साथ-साथ पैसों की तंगी को भी दूर करता है. शमी के पौधे को घर में लगाने से शनिदेव की कृपा बनी रहती है. यह आयुष्य वर्धक और पाप का नाशक माना गया है. इसके इतर शमी के पौधे को घर में लगाने से बरकत होती है, लक्ष्मी की कृपा होती है और पैसो की तंगी दूर होती है.
शमी शमयते पापं शमी शत्रुविनाशिनि
अर्जुनस्य धनुर्धारी रामस्य प्रियदर्शनि।
शमीं कमल पत्रक्षिं शमीम कण्टक धारिनिं
आरोहतु शमीम लक्ष्मीं नृणां आयुष्य वर्धिनिं।
रामायण में भी शमी के पौधे का महत्व बताया गया है. इसके अनुसार जब भगवान राम और रावण के बीच युद्ध हुआ था उस समय युद्ध शुरू होने से पहले भगवान राम ने शमी के पेड़ का पूजन किया था. जिसके बाद उन्हें विजय हासिल हुई. महाभारत में पांडवों ने अपने अस्त्र शमी वृक्ष पर ही टाँगे थे.
राजस्थान में क्षत्रिय दशहरा में इसकी पूजा करते हैं. शमी के पत्तों का इस्तेमाल भगवान शिव की पूजा में विल्व पत्र की जगह किया जाता है और इससे वह प्रसन्न होते हैं. इसके अलावा भगवान गणेश और मां दुर्गा की पूजा में भी शमी के पत्तों का उपयोग करना शुभ माना गया है. प्रति दिन दुर्गा माता को 11 शमी पत्र चढ़ाने से सभी काम बनते हैं.

