सूर्य के कारकत्व में बताया गया है कि सूर्य विद्या, तप, भक्ति, वेदों का ज्ञान इत्यादि का कारक हैं. कुंडली में पंचम भाव के नैसर्गिक स्वामी सूर्य हैं. भारत की ऋषि परम्परा में सायं के बाद अर्थात सूर्य अस्त होने के बाद वेद नहीं पढाये जाते थे. वेद विद्या के कारक सूर्य हैं.
ऋग्वेद के प्रथम मंडल की यह ऋचा भी इसकी पुष्टि करती है –
सूर्यो॑ दे॒वीमु॒षसं॒ रोच॑मानां॒ मर्यो॒ न योषा॑म॒भ्ये॑ति प॒श्चात्।
यत्रा॒ नरो॑ देव॒यन्तो॑ यु॒गानि॑ वितन्व॒ते प्रति॑ भ॒द्राय॑ भ॒द्रम् ॥ -ऋग्वेद-१-११५-२।
भगवान सूर्य गणित, खगोल विज्ञानं और ज्योतिष विद्या के भी आचार्य हैं. गायत्री मन्त्र में उन्हीं से प्रार्थना की गई है ‘धियो यो नः प्रचोदयात्; सूर्य देव मनुष्य की बुद्धि को ज्ञान में प्रेरित करते हैं. महर्षि पतंजलि ने स्पष्ट लिखा है, “भुवनज्ञानं सूर्ये संयमात्” अर्थात ब्रह्माण्ड का ज्ञान प्राप्त करने के लिए सूर्य मंडल में मन का संयम करना चाहिए. सूर्य की कृपा बिना खगोल और ज्योतिष विद्या का ज्ञान हो ही नहीं सकता. इस तरह जो भी सारभूत, सूक्ष्म, पवित्रतम, मौलिक, आधारभूत और महान मूल्यवान है, उस पर सूर्य का अधिपत्य है.
सूर्य और चन्द्र दोनों आरोग्य के कारक हैं. महर्षि वेदव्यास ने आरोग्य के लिए भगवान भाष्कर की पूजा का निर्देश दिया है “आरोग्यं भास्करादिच्छेत्”. सूर्य प्राकृतिक आत्मकारक हैं इसलिए आयुष्य के भी कारक सिद्ध हैं. सूर्य को प्रतिदिन अर्घ्य देना चाहिए क्योंकि सूर्य की रश्मियों में अनेक रोगों और सब तरह की विपदाओं को नष्ट करने की शक्ति होती है. सूर्य की किरणों में मनुष्य के लिए उपयोगी सब कुछ विद्यमान है.
सूर्य न केवल रोगों से मुक्त करते हैं बल्कि ये दीर्घायु भी करते हैं. वेदों और संहिताओं में इस सम्बन्ध में अनेक मन्त्र प्राप्त होते हैं. ऋग्वेद के मंडल १-५०-११ में हृदय रोग को ठीक करने के लिए निम्नलिखित ऋचा से प्रार्थना की गई है –
उ॒द्यन्न॒द्य मि॑त्रमह आ॒रोह॒न्नुत्त॑रां॒ दिव॑म् । हृ॒द्रो॒गं मम॑ सूर्य हरि॒माणं॑ च
हे हितकारी तेजोमय सूर्य देव् ! आज आप उदित होते समय और नभ में ऊँचे जाते समय मेरे हृदय रोग तथा पांडुरोग को ठीक कर दीजिये ।
हिन्दू धर्म ग्रन्थों के अनुसार धन और सम्पत्ति पर भी सूर्य का अधिकार है. अकूत धन सम्पदा सूर्य से ही प्राप्त होती है. मार्कण्डेय पुराण के अनुसार प्रातःकालीन सूर्य जिस मनुष्य को शय्या पर नहीं देखते, जिस घर में नित्य अग्नि और जल वर्तमान रहता है और जिस घर में प्रतिदिन सूर्य को दीप दिखाया जाता है, उस घर में लक्ष्मी का निवास होता है. आदित्य हृदय स्तोत्र में कहा गया है कि जो व्यक्ति प्रतिदिन सूर्य को नमस्कार करता है, वह कभी दरिद्र नहीं होता।

