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नैमिषारण्य में  कभी प्राचीन काल में फुल्लग्राम नाम का कोई ग्राम था. पुराणो के अनुसार महासागर में सेतु का निर्माण भगवान श्री राम ने यहीं से शुरू किया  था. एक बार की बात है. एक मुनि मुद्गल इस ग्राम में निवास करते हुए भगवन विष्णु की आराधना कर रहे थे. उन्होंने श्रेष्ठ यज्ञानुष्ठान द्वारा भगवान को प्रसन्न किया. उनके तप और यज्ञ से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने गरुण पर सवार लक्ष्मी सहित उन्हें दर्शन दिया . ऋषि मुद्गल नें  स्तुति आदि द्वारा बड़ी भक्ति से उनकी अर्चना की, जिससे प्रसन्न होकर भगवान विष्णु नें उनसे कहा, “हे ब्राह्मण ! तुम्हारे इस स्तोत्र और यज्ञ से मैं बहुत प्रसन्न हूँ और प्रत्यक्ष रूप से तुम्हारे हविष्य का भोग लगाने आया हूँ ” ! मुद्गल ने भगवन को पुरोडाश इत्यादि भांति भाति के भोगो से संतुष्ट किया. तब श्री नारायण नें उनसे इस प्रकार कहा, ” सुव्रत ! अब मैं बहुत ही प्रसन्न हूँ तुम मुझसे कोई वार मांगों ” !

महर्षि बोले “प्रभो आपने प्रत्यक्ष दर्शन दिया और मेरे हविष्य का भोग लगाया है. इतने से ही मैं कृतार्थ हो गया हूँ , मुझे और कोई कामना नहीं है. आपसे मेरी यही याचना है की आपके प्रति मेरी भक्ति  में सतत वृद्धि होती रहे. हे माधव , मेरी इच्छा है की मैं आपका नित्य गाय के दूध से हवन करूँ. मेरी यही इच्छा पूर्ण करें .”

मुद्गल जी के ऐसा कहने पर भगवान विष्णु ने  सुरभि गाय को बुलाकर कहा, ” सुरभे! ये मेरे परम भक्त मेरी प्रसन्नता के लिए गाय के दूध से नित्य हवन करना चाहते हैं. अतः तुम मेरे आदेश से  सन्ध्या और प्रातः इस सरोवर को दूध से भर दिया करो. ” सुरभि ने , “ बहुत अच्छा ” कहकर आदेश स्वीकार किया.

भगवांन ने मुद्गल से कहा, ” हे ब्राह्मण ! तुम्हारी इच्छा पूर्ण हुई. तुम इस  सरोवर से प्रति दिन मेरे लिए दूध से हवन करो , इससे मैं तुमपर प्रसन्न होकर तुम्हारी सभी कामनाओं को पूरा करूंगा .” यह सरोवर लोक में “क्षीर सरोवर ” नाम से विख्यात है. यहाँ स्नान करने वाले की सम्पूर्ण कामनाएं पूरी होती हैं, इसमें कोई संदेह नहीं .

सीतापुर उत्तरप्रदेश में स्थित है यह कुंड.