 
									जन्म कुंडली में चंद्रमा का बलवान होना और शुभ स्थिति में होना सुखी और समृद्धिशाली होने के लिए महत्वपूर्ण है. चन्द्रमा सुख कारक है और सभी दशाओं में यही फल भोग कराता है. ज्योतिष में चन्द्रमा से बनने वाले सुनफा-अनफा योग शुभ योग माने जाते हैं और यावज्जीवन यह योग फलीभूत होते रहते हैं. इन दोनों योगों का शुभ फल के लिए चंद्रमा का बलवान और शुभ होना अनिवार्य है. यदि जातक का चंद्रमा पक्ष में बलवान है, क्रूर-पापी ग्रहों से दृष्ट नहीं है, पाप ग्रहों के मध्य नहीं है और वह अशुभ स्थानों का अधिपति नहीं है, तो ऐसे चन्द्रमा से बना सुनफा-अनफा योग शुभ परिणाम देता है.
सुनफा योग –
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब किसी कुंडली में चन्द्रमा से अगले घर अर्थात चन्द्र राशि से दूसरे घर में राहु-केतु और सूर्य को छोड़ कर कोई ग्रह स्थित हो (शुभ ग्रह बेहतर) तब सुनफा योग बनता है. सूर्य अकेला हो तब यह नहीं बनता लेकिन सूर्य के साथ बुध हो या कोई और शुभ ग्रह हो तो यह योग होता है. शुभ सुनफा जातक को धन, संपत्ति तथा प्रसिद्धि प्रदान करता है. अनेक राजयोगों की तरह ही परिभाषा के अनुसार सुनफा योग बहुत सी कुंडलियों में दिख जाता है लेकिन बहुत से जातकों को इस योग के शुभ फल प्राप्त नहीं होते. ऐसे में कुंडली का विश्लेषण करना चाहिए.
यदि किसी जातक की जन्म कुण्डली में सुनफा शुभ हो तो वह जातक को यशस्वी, प्रतापी, समृद्धशाली, धनवान तथा मुखिया बना देता है. यह उत्तम स्वास्थ्य, मान-सम्मान और प्रसिद्धि प्राप्त कराता है. यह योग कभी खत्म नहीं होता, जीवन भर चलता रहता है.
अनफा योग –
यदि किसी कुंडली में चन्द्रमा से पिछले घर में अर्थात चन्द्र राशि से बारहवें घर में कोई शुभ ग्रह स्थित हो ( राहु-केतु सूर्य) को छोड़ कर तो कुंडली में अनफा योग बनता है. यह योग जातक को स्वास्थ्य, प्रसिद्धि, धन तथा आध्यात्मिक विकास प्रदान करने वाला माना जाता है. इस योग में सूर्य का विचार नहीं किया जाता. अकेला सूर्य के चन्द्रमा से पिछले घर में स्थित होने पर कुंडली में अनफा योग नहीं बनता लेकिन सूर्य के साथ कोई और शुभ ग्रह हो तो यह योग बनता है.
जिस व्यक्ति की कुण्डली में अनफा योग होता है, वह व्यक्ति सुन्दर, बलवान, गुणवान, मृ्दुभाषी, धनी व प्रसिद्ध होता है, इसके साथ ही वह शरीर से हृष्ट पुष्ट और राजनेता बनने की योग्यता वाला होता है.
अनफा और सुनफा योग ग्रहों के कम्बीनेशन के अनुसार 31 प्रकार के बताये गये हैं. इसका विधिवत परिक्षण करके ही इस योग के शुभ-अशुभ परिणाम का निर्णय लेना चाहिए.


 
					 
					 
																			 
																			 
																			 
																			 
																			 
																			 
																			