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शैव धर्म के 51 शक्तिपीठों का विस्तार भारत से लेकर बंगलादेश, श्रीलंका और पाकिस्तान भर में है. इससे यह अनुमान होता है कि प्राचीन भारत के भूखंड का यह देश भी हिस्सा रहे थे अथवा प्रत्यक्ष -अप्रत्यक्ष रूप से भारत के सम्राटों द्वारा शासित थे. बांग्लादेश में बारिसल से सिर्फ 21 किमी उत्तर में शिकारपुर गांव में सुनंदा नदी के तट प्रसिद्ध 51 शक्तिपीठों में से एक सुगंधा शक्तिपीठ की स्थिति बताई गई है. सुंगधा (सुनंदा) नदी के तट पर स्थित इस शक्ति पीठ को ही उग्रतारा शक्तिपीठ भी माना जाता है. इस स्थान पर सती माता की नासिका (नाक) गिरी थी इसलिए इसका नाम सुगंध हुआ. नदी के तट पर होने से देवी सुनंदा भी कही जाती हैं. यहाँ शक्ति सुगंधा और यहाँ भैरव रूप में शिव त्र्यम्बक हैं.

यहां पर स्थापित जो पुरानी मूर्ति थी, वो अब चोरी हो गई थी. इस्लामिक देश होने से यहाँ हिन्दू धर्म बहुत सुरक्षित नहीं है. मूर्ति चोरी हो जाने के बाद उसके स्थान पर नई मूर्ति स्थापित की गयी है. प्राचीन मूर्ति अब कहाँ है यह अज्ञात है. वर्तमान में देवी का विग्रह उग्रतारा का विग्रह है, जिन्हें सुगंध की देवी के रूप में पूजा जाता है. देवी के पास तलवार, खेकड़ा, नीलपाद, और नरमुंड की माला है. कार्तिक, ब्रह्मा, विष्णु, शिव, गणेश उनके ऊपर स्थापित हैं. यह मूर्ति बौद्ध तंत्र की तारा देवी से सम्बंधित भी मानी जाती है.

यह मंदिर एक सुंदर मन्दिर है और पत्थर का बना हुआ है. मंदिर की पत्थर की दीवारों पर भी देवी-देवताओं की तस्वीर ख़ूबसूरती से उत्कीर्ण हैं.  शिव चतुर्दशी पर यहाँ बड़ा मेला लगता है, बंगाल में रहने वाले शाक्त और पश्चिम बंगाल से भी भक्त यहाँ आते हैं. इसके अलावा नवरात्र पर भी श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है.

मन्दिर के इतिहास में जो कथा है उसके अनुसार शिकारपुर गांव में पंचानन चक्रवर्ती नाम के एक धर्मनिष्ठ ब्राह्मण रहते थे. एक बार उनके सपने में, मां काली ने उन्हें दर्शन दिए और कहा कि मैं सुनन्दा नदी के गर्भ में शिलारूप में स्थित हूँ, तुम मुझे वहां से निकाल कर ले आओ और मेरी पूजा करो. पंचानन चक्रवर्ती ने ऐसा ही किया. उसने स्वप्न में बताये उस स्थान पर मूर्ति की तलाश की और वहां से मूर्ति लाकर उसमे स्थापित किया. उसने त्रिकाल पूजन करना प्रारम्भ कर दिया. बाद में यह एक भव्य मन्दिर में परिवर्तित हो गया और इसकी ख्याति दूर दूर तक फ़ैल गई. इस तरह से ये  पवित्र स्थान लोकप्रिय  हुआ. इस शक्तिपीठ पर पहुंचने के लिए खुलना से स्टीमर से बरीसाल पहुँचें तथा वहाँ से सड़क मार्ग से शिकारपुर ग्राम पहुंचे जहाँ यह शक्ति स्थल स्थित है.