वैदिक ज्योतिष के अनुसार नवमेश अर्थात नवम भाव का स्वामी केंद्र के किसी हॉउस के स्वामी के साथ सम्बन्ध स्थापित करता है तो राजयोग का निर्माण करता है। यह राजयोग अलग अलग तरह के प्रभाव उत्पन्न करते हैं । नवमेश कुंडली का सबसे शक्तिशाली ग्रह होता है क्योकि मनुष्य जो कुछ इस जीवन में प्राप्त करता है उसका कारण नवमेश ही होता है। नवमेश को धर्माधिपति भी कहते हैं, भाग्येश भी कहते हैं, यह दशम कर्म के हॉउस के स्वामी से सम्बन्ध बनाता है तो धर्म-कर्माधिपति नामक प्रबल राजयोग का निर्माण होता है। जिन जातको की कुंडली में यह योग बनता है वो बहुत प्रसिद्ध होते हैं, उन्हें हर तरह का सुख, धन, ऐश्वर्य यूँ ही प्राप्त हो जाता है। यही यदि लग्नेश के साथ युति करे लग्न में या नवम में या दशम में तब भी प्रबल राजयोग प्रदान करता है। यह जातक के पूर्वपुण्य से प्राप्त होता है।आचार्यों ने इसलिए कहा भी है कि सब छोड़ कर कुंडली में सबसे पहले नवमेश को देखें क्योकि धन, सम्मान, ऐश्वर्य, सुंदर पत्नी, सुख , पुत्र इत्यादि उसी से प्राप्त होते हैं। भाग्य भाव के स्वामी द्वारा ही श्रेष्ठ जीवन की प्राप्ति होती है क्योकि यह धर्म भाव है। भाग्य तुम्हारे पूर्वार्जित कर्मों से ही बनता है। जब तक नवमेश पंचमेश न चाहे कोई राजा नहीं हो सकता। किसी को मंत्री, पीएम या कोई राजसत्ता का पद नहीं मिल सकता यदि  ये अच्छे नहीं हैं। 
नवमेश की सप्तमेश से युति हो या स्थान परिवर्तन हो तो जातक का पत्नी से या स्त्री से भाग्योदय होता है और धन तथा प्रतिष्ठा की प्राप्ति होती है।
कलत्रकारकादेवं तत्स्थानेशाद्वदेत्तथा ।
भाग्याधिपस्य शत्रुश्च शत्रुराशिपतिस्था।।
नीचे दी गई कुंडली को देखें, यह सिने स्टार बिग बी अमिताभ बच्चन की कुंडली है..
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इस कुंडली में उच्च के पंचमेश बुध और नीचगत नवमेश शुक्र की युति सप्तमेश सूर्य से है । यद्यपि की यह युति एक अशुभ भाव में है लेकिन दो शुभ ग्रहों की युति होने से अष्टम भाव का दोष काफी कम हो गया है। अष्टम में हुई इस युति के कारण ही अमिताभ बच्चन को प्रारम्भिक जीवन में बॉलीवुड में बहुत संघर्ष करना पड़ा, 30 वर्ष की उम्र तक सिनेमा उद्योग में ये failed newcomer के रूप में जाने जाते थे। यदि यही युति केंद्र में होती तो संघर्ष के दिन एकदम नहीं देखने पड़ते। जया बच्चन और अमिताभ बच्चन की मुलाकात 1971 में फिल्म ‘गुड्डी’ के सेट पर हुई थी और इनका प्रेम सम्बन्ध विकसित हुआ। जिसके बाद से जया बच्चन के कारण ही 1972 के बाद से धीरे धीरे इन्हें अच्छे डायरेक्टर्स की फिल्म मिलने लगी। 1973 में दोनों ने शादी कर ली । 
 
अष्टम में सप्तमेश की पंचमेश और नवमेश से युति से जया भादुड़ी से शादी हुई तो जया भादुड़ी से न केवल इन्हें धन मिला बल्कि इनका भाग्योदय हुआ। जया भादुड़ी फिल्म उद्योग में प्रतिष्ठित थी,अनेक फिल्मफेयर अवार्ड्स जीत चुकी थी।  दूसरी महत्वपूर्ण बात ये है कि जिस हॉउस में ज्यादा शुभ ग्रह होते हैं वो हॉउस बलवान हो जाता है, अष्टम एक खराब हाउस है लेकिन इन शुभ ग्रहों ने इन्हें दीर्घजीवी बना दिया। बनिस्बत इसके 26 July 1982 जब इनकी शनि-चन्द्र-गुरु की दशा चली तो दशा के शासक ग्रह शनि द्वादशेश, नवम भाव स्थित चन्द्रमा षष्टमेश और गुरु द्वितीयेश मारक होकर षष्टम में उच्च का है जो अष्टम स्थित मंगल-बुध द्वारा शासित हैं। कूली फिल्म की शूटिंग के दौरान ये ग्रह इन्हें मृत्यु तक ले गये लेकिन भाग्येश-पंचमेश शुभ ग्रह हैं, इन दोनों ने मिलकर इन्हें बचा लिया। गौरतलब है कि पंचमेश बुध उच्च का होकर अष्टम में है और नीच नवमेश से युत है जो जातक के कोई अच्छे कर्म की तरफ इंगित नहीं करता। बुध की महादशा में अमिताभ बच्चन की प्रतिष्ठा ही कुड़की हो गई थी जब इनका बंगला ‘प्रतीक्षा’ कुड़की के लिए लगाया गया, यह एक प्रतिष्ठित व्यक्ति के लिए कोई कम मानभंग और अपमान नहीं है। दूसरे बुध ने ये किया कि चार-पांच साल तक इन्हें कोई काम ही नहीं मिला, अनेक परेशानियों से घिर गये और स्वास्थ्य भी खराब हो गया। अष्टम की वजह से जबर्दस्त डिप्रेशन का समय रहा। ये काम मांगने जाते थे लेकिन नहीं मिलता था। बाद में अच्छी अन्तर्दशा आई तो इन्हें पुन: काम मिलना शुरू हुआ और कौन बनेगा करोड़पति से पुन: खोई प्रतिष्ठा को हासिल कर पाए। अष्टम स्थित ग्रह भले ही शुभ हो लेकिन उसका फल तो वह भी देगा ही. सप्तमेश के साथ दो शुभ ग्रहों की युति से बच्चन को प्रतिष्टित स्त्री का साथ मिला और धन मिला साथ में भाग्योदय हुआ लेकिन वे अपनी दशा में अष्टम का भी फल करने से बाज नहीं आये। 


 
					 
					 
																			 
																			 
																			 
																			 
																			 
																			 
																			