ज्योतिष में नीच के ग्रहों का नकारात्मक वर्णन किया गया है और यह बताया’ गया है कि नीच के ग्रह अपनी दशा में खराब फल करते हैं. ज्योतिष की दो दृष्टि है -पहली आध्यात्मिक क्योंकि मनुष्य का अंतिम उद्देश्य मुक्ति है , दूसरी भौतिकवादी दृष्टि. किसी किसी प्राचीन आचार्यों में पहली दृष्टि प्रधान है, किसी किसी आचार्यों में दूसरी दृष्टि प्रधान है. जन्म कुंडली में नीच के ग्रह की सबसे बुरी बात ये हैं कि वह मनुष्य को उदात्त जीवन नहीं देते जबकि उच्च के ग्रह मनुष्य को उदात्त जीवन प्रदान करते हैं. अर्थात नीच के ग्रह अपनी दशा में मनुष्य को अच्छा फल नहीं प्रदान करते और उनका आध्यात्मिक विकास अवरुद्ध रहता है. नीच के ग्रह मनुष्य को अनैतिक, स्वार्थी और निम्न प्रकृति का बनाते हैं. जबकि दूसरी दृष्टि वाले ज्योतिषी इसको बहुत तरजीह नहीं देते, वह यह देखते हैं कि ग्रह जातक को भौतिक लाभ कितना दे सकता है. यह महत्वपूर्ण अन्तर है. नीच का शुक्र वेश्यागमन करा सकता है, अनेक स्त्रियों से सम्बन्ध हो सकते हैं. आज के समय में इसे बड़ा अच्छा माना जाता है लेकिन भारतीय संस्कृति में यह हेय माना गया है.
जो भी भोग वाले ग्रह हैं चन्द्रमा, बुध, शनि वो दक्षिणायन में उच्च के होते हैं, जो आध्यात्म और ज्ञान के ग्रह है सूर्य, बृहस्पति, मंगल, शुक्र वो उत्तरायण में उच्च के होते हैं. दक्षिणायन में ग्रह जागतिक होते हैं, उनका मोडिफिकेशन सांसारिक होता है, वे निम्न स्तर पर काम करते हैं. उदाहरण के लिए सूर्य को लीजिये. सूर्य तुला में 10 अंश पर नीच का हो जाता है ( अंग्रेजी में फाल कहते हैं) नीचे गिर गया अर्थात यहाँ से उसका प्रकाश हम तक कम पहुंचता है. सूर्य जगत की आत्मा है अर्थात वह नैसर्गिक आत्म कारक है. हिन्दू दक्षिणायन में जब सूर्य होता है तो विष्णु जी को सुला देते हैं. सूर्य के कमजोर होने से नैसर्गिक रूप से आत्मबल की कमी होगी, रोग की अधिकता होगी, आँख की रौशनी कम होगी, राजसत्ता से पीड़ित हो सकता है, पुत्र को कष्ट दे सकता है, पिता की बचपन में मृत्यु हो सकती है इत्यादि. नीच का सूर्य हो तो व्यक्ति का आध्यात्मिक विकास नहीं होता. वह अन्य ग्रहों के प्रभाव में उनकी दशा में यदि आध्यात्मिक कर्म करता होगा फिर भी उसमे एक नीचता अवश्य होगी. उदाहरण के लिए स्थिर पत्नी कारक ग्रह नीच का है तो पत्नी उच्च कुल की नहीं मिलेगी. उच्च कुल की व्याख्या पारम्परिक है, आजकल तो तमाम नीच कुलोत्पन्न एक्ट्रेस बन कर उच्च कुल की मानी जाती हैं और लोग शादी कर सीना तान कर चलते हैं.

शाहरुख़ की कुंडली में सूर्य लग्न में नीच का है लेकिन अति-नीच अवस्था से बाहर निकल गया है. फिर भी यह उनका चर पितृकारक और नैसर्गिक पितृ कारक भी है, ऐसे में पिता की जब 15 साल के थे तब मृत्यु हो गई. अपने पुत्र के सन्दर्भ में पीड़ित हुए और पब्लिक में बड़ा ह्यूमिलियेशन हुआ. सूर्य राजसत्ता का कारक है तो यह कष्ट राजसत्ता द्वारा दिया गया. भौतिकवाद के इस युग में पिता की जल्दी मृत्यु हो जाने को बहुत महत्व नहीं देते इसलिए तमाम न्यूज की वेबसाइट पर लिखा हुआ मिलता है कि शाहरुख़ के पिता की नीच सूर्य के कारण भले ही थोड़ी जल्दी मृत्यु हो गई लेकिन वे सफल व्यक्ति हैं. भौतिक सफलता के आगे जो पब्लिक ह्युमिलियेशन हुआ, पुत्र ड्रग केस में जेल में रहा, उसको तरजीह नहीं दिया जाता जैसे वेश्या रूपये के सामने अस्मिता को तरजीह नहीं देती. नीच ग्रह की दशा या अन्तर्दशा में कुछ ऐक्ट्रेस सड़क पर घसीटी गईं, और 10-10 घंटे थाने में बैठा कर ह्युमिलियेट करते रहे. यह महत्वपूर्ण नहीं है. वास्तव में आत्मसम्मान कोई चीज नहीं है. दीपिका पादुकोण का बहुत बड़ा पब्लिक ह्युमिलियेशन हुआ, रोड पर घसीट कर ले गये. दीपिका का पति का कारक बृहस्पति नीच का है तो उसका पति चूं नहीं किया. रूपये के समक्ष वास्तव में किसी चीज को कोई तरजीह नहीं दी जाती. पत्नी मर गई तो दूसरी आ जाएगी, अपने पास बहुत रूपये हैं. यह सोच बन गई है.
जहाँ राजा नीच का होता है वहां दास शनि अंधकार का ग्रह उच्च का होता है. दक्षिणायन पर चन्द्रमा का शासन है. दक्षिणायन अंधकार है, अविद्या है, पितृलोक है. ऐसे में वह अविद्या में, संसारिकता में मर खप जायेगा और उदात्त जीवन का विरोधी होगा. नीच ग्रह को तीन प्रकार देखना चाहिए 1- नीच राशि में ग्रह है लेकिन अपने नीच अंश में नहीं है अर्थात अपने नीच अंश की तरफ अवरोहण कर रहा है 2- ग्रह अपने परम नीच अंश में स्थिति है 3- वह अपने नीच अंश में है लेकिन नवांश में अच्छे भाव में है, स्वगृही है या मित्र की राशि में है या नीच राशि में है लेकिन नवांश में उच्च का हो गया है . तदनुसार उसका फल होता है. नीच के ग्रह का नीच भंग हो भी जाय तो भी उसके नीच होने का परिणाम मिलता अवश्य है. ग्रह अवरोही हो लेकिन उच्च नवांश में हो तो उसका 50% शुभ फल बढ़ जाता है. ग्रहों की जो अवस्थाएं बताई गई हैं उन्हें भी देखना चाहिए. कुंडली में योगों को भी अच्छी तरह से देखना चाहिए, अक्सर प्रबल राजयोग में नीच ग्रह तदनुसार ही फल करने को बाध्य होता है.

