हिंदुत्व पिछले 9 साल में मुस्लिम समाज और इस्लाम के प्रति घृणा की अपनी पराकाष्ठा पर पहुंचा है. घृणा की इस पराकाष्ठा में हिंदुत्व ने इतिहास की पुस्तकों से ‘मुगल सम्राज्य’ से सम्बन्धित चैप्टर को पाठ्यक्रम से हटाया. पिछले 9 वर्षों की घृणापूर्ण राजनीति में हिंदुत्व ने सोशल मीडिया पर भी 2 रुपया प्रति ट्वीट करने वाले ट्रोल आर्मी द्वाराअक्सर मुगल ट्रेंड कराया हैं. भारत की आने वाली पीढ़ी को भारत के इतिहास को जानने का कोई स्रोत न रहे इसके लिए अनेक प्रयत्न किये गये.
हिंदुत्व ठगों का एक रैकेट है. हिंदुत्व का कोई चरित्र नहीं है, ये नित्य नये रूप बदलने वाले बहुरुपिया हैं. पिछले दिनों सम्पन्न हुए G-20 समिट में अंग्रेजों और अरब देश के मुसलमानों को प्रसन्न करने के लिए हिन्दुओं के देवता शिव का शिवलिंग का घोर अपमान किया गया. शिवलिंग का झरना बना कर हिन्दुओं का अपमान किया गया. यह समिट मूलभूत रूप से अडानियों को विभिन्न देशों में ठेके दिलाने के लिए ओर्गेनाइज किया गया था. इस समिट मे विश्व के नेताओं को प्रभावित करने के लिए मुगल साम्राज्य से सम्बन्धित एक विशेष पत्रिका निकाली गई थी. पत्रिका का नाम था ‘भारत : मदर ऑफ डेमोक्रेसी’; इस पत्रिका में भारत की प्राचीन सभ्यता, लोकतांत्रिक परंपराओं,आस्थाओं, महापुरुषों और शासकों का ज़िक्र है. पत्रिका के कवर पर अकबर का चित्र लगाया गया और बताया गया कि भारत का सबसे महान, सबसे सेक्युलर शासक अकबर था.

पत्रिका में मुग़ल बादशाह अकबर का परिचय देते हुए कहा गया है कि उनकी लोकतांत्रिक सोच बाकियों से हट कर और अपने समय से काफ़ी आगे थी. पत्रिका में उनके बारे में लिखा गया है,’’अच्छे प्रशासन में सभी का कल्याण निहित होना चाहिए, चाहे वो किसी भी धर्म के मानने वाले क्यों न हों. तीसरे मुग़ल बादशाह अकबर ने ऐसा ही लोकतंत्र अपनाया था. अकबर ने ‘सुलह-ए-कुल’ यानी सार्वभौमिक शांति का सिद्धांत दिया. यह धार्मिक भेदभाव के ख़िलाफ़ बना सिद्धांत था’’ पत्रिका में बताया गया है कि अकबर अपनी उदारता, धार्मिक सहिष्णुता और शासन के लोकतांत्रिक मिजाज के लिए जाने जाते हैं.
जी-20 सम्मेलन के लिए जारी की गई पत्रिका में अकबर को एक लोकतांत्रिक, Secular, धार्मिक भेदभाव न करने वाला सहिष्णु और आदर्श बादशाह बताया गया है.

