हमारे सूर्य के बाहर बहुत बड़ा एस्टरॉयड बेल्ट है जिसमें सौर परिवार के सबसे बड़े ग्रह स्थित हैं. बृहस्पति, शनि, नेपच्यून, युरेनस और प्लूटो इस बेल्ट में स्थित हैं. ज्योतिष में इन ग्रहों को बाहरी ग्रह कहा जाता है. ये ग्रह आधुनिक एस्ट्रोनोमी में गैसीय दानव कहे जाते हैं. इन बाहरी ग्रहों में सबसे भीमकाय, गुरुता में शनि से भी बड़ा बृहस्पति है. बृहस्पति की गुरुता के कारण ही उसे ज्योतिष में गुरु कहा गया है. शनि के बाहर एक बृहद वर्तुल(RING) है जिसके कारण यह प्राचीन काल से ही सबसे प्रमुख आकर्षण का केंद्र है. 
 शनि का भूमध्यरेखीय व्यास (equatorial diameter) 120,536 km ± 8 km (74,898 ± 5 mi) है जो कमोवेश 9.5 पृथ्वी को समाहित कर सकता है. शनि के ध्रुव पर व्यास लगभग 108,728 ± 20 km (67,560 ± 12 mi) है. शनि की सतह पर भूमि लगभग 42.7 billion km² (16.5 billion sq miles) है जो पृथ्वी का 83.7 गुना है अर्थात इतनी पृथ्वी समा सकती है. वहीं बृहस्पति जैसा नाम से स्पष्ट है बृहद, शनि से बहुत बड़ा है. शनि की सतह से बृहस्पति की सतह कमोवेश 32 प्रतिशत ज्यादा है.

शनि का आयतन 827.13 trillion km³ है जिसमे 763 पृथ्वी समा सकती है. लेकिन यह बृहस्पति की तुलना में 57.8% कम है अर्थात बृहस्पति शनि से बहुत बड़ा है. शनि का भार (mass) पृथ्वी से 95 गुणा ज्यादा है लेकिन बृहस्पति से तुलना करें तो शनि का वजन उसका 30% ही है. शनि सूर्य का एक भ्रमण 29.457 वर्ष में करता है जो 10,759 दिन होता है. शनि पृथ्वी की तरह ही अपने ध्रुव पर लगभग 10 घंटे में एक चक्कर पूरा करता है अर्थात शनि की सतह से देखें तो सभी बारह राशियाँ इतने समय में उदित और अस्त होंगी.

शनि के कमोवेश 30 वर्षीय भ्रमण के दौरान इसका आधे समय में उत्तरी गोलार्ध सूर्य के सामने होता है और आधे समय दक्षिणी गोलार्ध सूर्य के सामने होता है. इस तरह 15 वर्ष के अन्तराल पर दोनों गोलार्धों पर सूर्य की रश्मियाँ पड़ती है.
इससे यहाँ का वातावरण बड़े नाटकीय ढंग से बदलता है और हर वर्ष लगभग इसके दोनों ध्रुव पर ऊर्जा का एक षटकोणीय रंगीन वर्तुल दिखाई पड़ता है. यह वर्तुल लगभग 30,000 km बड़ा होता है. यहाँ बड़े बड़े गैसीय तूफान आते हैं जो 322 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से बहते हैं.

शनि का रिंग का रेडियस 60,300 km है जो 99.9% बर्फ के छोटे खंडों से बना हुआ. ऐसा माना जाता है कि रिंग में जितना बर्फ है वह पृथ्वी के आर्कटिक का दो तिहाई है.  शनि के रिंग 10 मीटर से एक किलोमीटर तक मोटे हैं.  वैदिक काल में ऋषियों ने यह जान लिया था कि शनि गैसीय दानव है और यह ठंडा बर्फिय है.

