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छत्तीसगढ़ प्रदेश अपनी विशिष्ट लोक संस्कृति और तीज-त्योहारों के लिए आज दुनिया भर में विख्यात हो चूका है. सीएम भूपेश बघेल ने यहाँ की संस्कृति को संजोने और प्केरचारित करने लिए अनेक तरह के कार्यक्रम चलायें है. इन कार्य’कर्मों में अनेक रोजगार परक कार्यक्रम भी चलाये गये हैं. छत्तीसगढ़ की संस्कृति को सीएम भूपेश बघेल ने काफी प्रचारित किया है. वे वहां की संस्कृति में रचे बसे हुए हैं. छत्तीसगढ़ में भी हर जगह की तरह तीज मनाई जाती है. इस राज्य में तीज पोरा (पोला) भादो मास के शुक्ल पक्ष, तृतीया को मनाया जाता है. छत्तीसगढ़ की महिलाओं के लिए तीज-पोला त्योहार बेहद खास है. महिलाएं सोलह श्रृंगार कर इस पर्व को बड़े धूमधाम से मनाती हैं. तीन दिनों तक चलने वाले पारंपरिक तीजा- पोरा पर्व का उत्साह पूरे छत्तीसगढ़ में देखा जाता है. इस दिन बाजार में दीवाली की तरह ही रौनक होती है.

ऐसी पौराणिक मान्यता है कि इस दिन माता पार्वती ने अपने स्वामी देवाधिदेव महादेव को पाने के लिए कठोर तपस्या और उपवास किया था. इस तपस्या से महादेव प्रसन्न हुए और एक हजार साल के लंबे इंतजार के बाद माता पार्वती को अपनी अर्धांगिनी के रूप में स्वीकार किया था. तभी से इस दिन को सुहागन महिलाओं के लिए सौभाग्य का दिन माना जाता है. ऐसी दृढ़ पौराणिक मान्यता है कि इस दिन सुहागन स्त्रियां, देवी पार्वती और भगवान शिव से जो भी मांगती है उन्हे उमा-महेश से अवश्य प्राप्त होता है.

हर वर्ष की तरह इस वर्ष तीजा- पोरा पर्व 14 सितम्बर को दोपहर 11 बजे से मुख्यमंत्री निवास पर बड़े धूमधाम से मनाया गया. सैकड़ों महिलाये इस कार्यक्रम में शरीक हुईं. बहनों के लिए मुख्यमंत्री निवास मायका बन गया था. सीएम भूपेश बघेल ने सपरिवार शामिल होकर बहनों को तीजा का उपहार दिया. इस कार्यक्रम में कांग्रेस पार्टी सोशल मीडिया और डिजिटल प्लेटफॉर्म की चेयरपर्सन सुप्रिया श्रीनेत भी शरीक हुईं. उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा-
इस कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ में साल के एक दिन तीजा-पोला का पर्व मनाने के लिए मुख्यमंत्री आवास पूरे प्रदेश की महिलाओं के लिए मायका बन अपने दरवाज़े खोल देता है। सजी धजी अपनी संस्कृति को धूम धाम से मनाती यह महिलायें शक्ति का स्वरूप हैं – आधी आबादी और पूरे सम्मान, सुरक्षा, स्वावलंबन और सशक्तिकरण की हक़दार।