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कांचीपुरम, तमिलनाडु स्थित एक प्रमुख नगर है. यह काशी की तरह ही मन्दिरों का शहर है. इसे पूर्व में कांची या काचीअम्पाठी भी कहते थे. यह पलार नदी के किनारे स्थित कांचीपुरम अपनी रेशमी साडि़यों के लिये प्रसिद्ध है. यहां कई बडे़ मन्दिर हैं, जैसे वरदराज पेरुमल मन्दिर भगवान विष्णु के लिये, भगवान शिव के पांच रूपों में से एक को समर्पित एकाम्बरनाथ मन्दिर, कामाक्षी अम्मा मन्दिर, कुमारकोट्टम, कच्छपेश्वर मन्दिर, कैलाशनाथ मन्दिर, इत्यादि.

इनमे पांडव दूतार पेरूमल मन्दिर (Pandavathoothar Perumal Temple)  का विशेष महत्व है. यह कांचीपुरम का सबसे  प्राचीन मन्दिर है जिसको 8वीं शदी में पल्लव राजाओं ने बनवाया था और  जिसे बाद में चोल राजाओं ने विस्तृत किया. मन्दिर में राजाधिराज चोल से सम्बन्धित शिलालेख भी उत्कीर्ण है जो 1018-54 और 1070–1120 शताब्दी का है.

मन्दिर कथा के अनुसार भगवान पांडव दूतार ने पांडवों को दर्शन दिया था जब  वो वनवास में थे . मन्दिर के गर्भ गृह में दूत के रूप में भगवान कृष्ण का  25 फिट का अद्भुत विग्रह है. देवि लक्ष्मी और रुक्मिणी के साथ भगवान अपने बैभव में स्थित हैं  . इस मन्दिर में भगवान की आगम विधि से नित्य छः समय पूजा सम्पन्न होती है.

इस मन्दिर को 27 नक्षत्र मंडल से सम्बन्धित मन्दिरों से जोड़ा जाता है. दक्षिण भारत में इस मन्दिर का दर्शन रोहिणी नक्षत्र के जातकों के लिए विशेष फलदायी बताया जाता है . बताया जाता है कि भगवान का यह विश्वरूप दर्शन सम्पूर्ण पापों को नष्ट कर देता है .