सत्ताईस नक्षत्रों में मृगशिरा नक्षत्र पांचवे नम्बर पर आता है जिसका स्वामी ग्रह मंगल है . यह एक बहुत प्रभावशाली नक्षत्र है . जो जातक मृगशिरा नक्षत्र में जन्म लेते हैं उनपर मंगल और बुध दोनों का सम्मिलित प्रभाव देखा जाता है. मृगशिरा नक्षत्र के दोष के लिए दक्षिण भारत में पीड़ित आदि नारायण मन्दिर के दर्शन करते हैं.

मृगशिरा नक्षत्र से पीड़ित जातकों को दक्षिण भारत तमिलनाडू के थिरुवरुर स्थित आदि नारायण के मन्दिर का दर्शन करना चाहिए. आदि नारायण पेरूमल मन्दिर का विग्रह भव्य है, यह अकेला ऐसा प्राचीन मन्दिर है जिसमे विष्णु अपने वाहन पर सवार है. ऐसा विश्वास किया जाता है कि मन्दिर के गर्भगृह में गरुण पर बैठे हुए आदि नारायण मृगशिरा नक्षत्र के जातकों की सारी इच्छाएं पूर्ण करते हैं .

मन्दिर के पुराण के अनुसार इस स्थल पर महर्षि भृगु एक बार घोर तप कर रहे थे. उसी समय एक चोल राजा एक सिंह का शिकार करते हुए उधर आ पहुंचा. उसके शिकार करने से भृगु ऋषि की तपस्या में विघ्न उपस्थित हो गया. क्रोधित ऋषि ने राजा को सिंह मुख हो जाने का श्राप दे दिया. अपनी गलती को स्वीकार कर राजा चोल भृगु ऋषि के चरणों में गिर पड़ा और शाप से मुक्ति के लिए प्रार्थना की. भृगु ऋषि ने उसे वृद्ध कावेरी के जल में स्नान कर भगवान विष्णु की आराधना का उपाय बताया. राजा ने भृगु ऋषि के आदेश को मान कर घोर उपासना की, उपासना से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने उसे पुनः मानव रूप प्रदान किया . राजा ने सिंह मुख से मानव मुख की प्राप्ति मृगशिरा नक्षत्र में ही किया इसलिए इस मन्दिर का महात्म्य इस मन्दिर से जुड़ गया.
मृगशिरा नक्षत्र के साधक इस मन्दिर में अपने स्टार के बुरे प्रभाव तुरंत मुक्त हो जाते हैं . शनिवार और बृहस्पतिवार को भगवान आदि नारायण पेरूमल का दर्शन और अभिषेक करने से मृगशिरा नक्षत्र के जातकों को जीवन में हर तरह की प्रसन्नता प्राप्त होती है. मन्दिर पुत्र प्राप्ति के लिए भी विशेष रूप से प्रसिद्ध है.

