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वैदिक काल में महीनों का नाम मधु-माधव  सूर्य के राशियों में गोचर के हिसाब से रखे गये थे. इन्हें राशि नाम से भी कहा जाता था. भागवत पुराण के लेखक ने’ वैदिक परम्परा के अनुसार इन महीनों के आदित्यों के नाम, उनसे जुड़े ऋषि, यक्ष, गन्धर्व, अप्सरा, राक्षस इत्यादि भी बताये हैं. मध्य पुराण युग में जब ज्योतिष चरमोत्कर्ष पर पहुंचा तब इन बारह राशियों और महीनों के अनुसार नदियों के उत्सव, मेले भी बाबाओं ने बनाये और राजाओं द्वारा प्रचलित किये गये थे.

नीचे तालिका में वैदिक महीनों और राशियों और बारह आदित्यों के नाम दिए गये हैं –

मधुमेसामार्च-अप्रैलधाता
माधववृषभअप्रैल-मईअर्यमा
सुकरामिथुनमई-जूनमित्र
सुचिकरकाजून-जुलाईवरुण
नभाससिहाजुलाई-अगस्तइंद्र
नभस्यकन्याअगस्त-सितंबरविवस्वान
इसातुलासितम्बर-अक्टूबरत्वस्ता
ऊर्जावृषिकाअक्तूबर-नवंबरविष्णु
साहसधनुनवम्बर-दिसम्बरअम्सू
सहस्यामकरदिसम्बर जनवरीभागा
तपसकुम्भजनवरी-फरवरीपूसा
तपस्यामीनाफरवरी-मार्चपर्जन्य

मध्य युग में द्वादश सूर्य, द्वादश राशियाँ और द्वादश नदियाँ तथा उन नदियों के पर्व, मेला इत्यादि शुरू किये गये थे जो आज भी प्रचलन में है. माघ महीने में जब सूर्य मकर में या कुम्भ के आसपास होता है (जाड़े के मौसम में) तब प्रयागराज में माघ मेला और कल्पवास होता है. माघ मेला भी मुख्यत: एक पुष्कर मेला है. इस समय यहाँ निवास करने और गंगा नहाने से अच्छे लोकों की प्राप्ति होती है और मुक्ति मिलती है. इन बारह संक्रांतियों में अलग अलग राज्यों में नदियों के तट पर माघ की तरह ही पुष्कर मेला लगता है. यह पुष्कर मेला कहाँ कहाँ कब लगता है, नीचे दी गई तालिका में देखें -..

राशि नम्बरराशियाँ हिंदीअंग्रेजी राशियाँ नदी का नाम पुष्कर तिथियाँ
1मेष ♈ Ariesगंगा, गंगा पुष्करApril 22 – May 5, 2023
2वृषभ ♉ Taurusनर्मदा, नर्मदा पुष्करMay 1-13, 2024
3मिथुन ♊ Geminiसरस्वती, सरस्वती पुष्करMay 15–26, 2025
4कर्क ♋ Cancerयमुना, यमुना पुष्करJune 2–13, 2026
5सिंह ♌ Leoगोदावरी, गोदावरी पुष्करJune 26 – July 7, 2027
6कन्या ♍ Virgoकृष्णा. कृष्णा पुष्कर August 12–23, 2028
7तुला ♎Libraकावेरी, कावेरी पुष्करSeptember 12–23, 2029
8वृश्चिक ♏ Scorpioभीमा, भीमा पुष्कर October 12–23, 2018
9धनु ♐ Sagittarius ताप्ती, ताप्ती पुष्कर वाहिनी March 29 – April 9, 2019
10मकर ♑ Capricornतुंगभद्रा, तुंगभद्रा पुष्कर November 20 – December 1, 2020
11कुम्भ ♒ Aquariusसिन्धु, सिन्धु पुष्कर April 6–17, 2021
12मीन ♓ Pisces प्राणहिता , प्राणहिता पुष्कर April 13–24, 2022

क्यों मनाया जाता है पुष्कर ?

पुष्कर की कहानी ज्योतिषीय है. पौराणिक कथा के अनुसार टुंडिल नामक एक ब्राह्मण ने भगवान की शिव की घोर आराधना कर जलमयत्व सिद्धि प्राप्त की और वरदान स्वरूप जल की पवित्र करने की शक्ति (पुष्कर ) को धारण कर लिया. पुष्कर शक्ति को जगत की रचना के लिए अच्छा समझ ब्रह्मा जी ने भी भगवान शिव से पुष्कर को अपने कमंडल में मांग लिया. पुष्कर स्थित सरोवर उनके कमंडल में स्थित है इसलिए पुष्कर शक्ति उस सरोवर में भी निहित हो गई. पुष्कर की शक्ति को पहचान कर सबको शुभ करने वाले देव गुरु बृहस्पति ने भी पुष्कर को अपने लिए माँगा. लेकिन जल में निवास कर रहा ब्राह्मण पुष्कर देव गुरु के साथ नहीं जाना चाहता था. ब्रह्मा ने पुष्कर के लिए एक सीमित समय के लिए बृहस्पति के साथ रहने की शर्त रखी. शर्त ये थी कि पुष्कर पहले बारह दिनों में बृहस्पति के साथ रहेगा जब बृहस्पति एक राशि में प्रवेश करता है और अंतिम बारह दिनों में जब वह उस राशि को छोड़ देता है. बीच की अवधि के बाकी दिनों में, पुष्कर दोपहर में दो मुहूर्त की अवधि के लिए बृहस्पति के साथ रहेगा. एक मुहूर्त 48 मिनट का होता है, तब पुष्कर ब्रह्मा और ब्रहस्पति दोनों के साथ हो सकता है. बृहस्पति एक राशि में एक वर्ष तक निवास करते हैं और सभी राशियों की यात्रा पूरी करने में उन्हें बारह वर्ष लगते हैं. बृहस्पति सहित पुष्कर जब किसी राशि में प्रवेश करता है तो उसे आदि पुष्कर कहते हैं और जब बृहस्पति राशि को छोड़ते हैं तो उस पुष्कर को अंत्य पुष्कर कहते हैं. बाकी दिनों में पुष्कर 2 मुहूर्त बृहस्पति के पास रहता है और इस समय में जब लोग स्नान करते हैं तो उन्हें देवताओं काआशीर्वाद मिलता है और उनके पाप धुल जाते हैं. पुष्कर का अर्थ है पोषण करना अर्थात पोषण करने वाली शक्ति. ज्योतिष में पुष्कर नवांश और पुष्कर भाग प्रसिद्ध है. क्या है पुष्कर नवांश ?….. इस लेख में पढ़ें