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इस इस लेख में अनेक उपाय में बताये जा रहे हैं, ये उपाय करने से शनि की खराब दशा में अवश्य कुछ न कुछ राहत मिलेगी. शनि कर्म कारक है और दुःख कारक भी है. इसकी दशा में ज्यादातर मामले में दुःख की प्राप्ति होती ही है. शनि पीड़ा के निवारण के अनेक उपाय हैं जिन्हें करने से पीड़ा से राहत मिलती है. वृन्दावन में कोकिला वन स्थित शनि मन्दिर में शनि का दर्शन तथा पूजन  करने से भी शनि पीड़ा से राहत मिलती है. यह शनि मन्दिर बहुत प्राचीन है. यह वैष्णव धाम में स्थित है इसलिए वैष्णवों का भी बल रहता है.

इन्द्रनीलद्युति: शूली वरदो गृध्रवाहन:। बाणबाणासनधर: कर्तव्योऽर्कसुतस्तथा।।

शनैश्चर की शरीर-कान्ति इन्द्रनीलमणि की-सी है. वे गीध पर सवार होते हैं और हाथ में धनुष-बाण, त्रिशूल और वरमुद्रा धारण किए रहते हैं.

नीलांजन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्। छाया मार्तण्ड सम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम्।।

जो नीले काजल के समान आभा वाले, सूर्य के पुत्र, यमराज के बड़े भाई तथा सूर्यपत्नी छाया और मार्तण्ड (सूर्य) से उत्पन्न हैं उन शनैश्चर को मैं नमस्कार करता हूँ.

शनि : छायासुनू , तरणीतनय, कोण, आर्की, शौरी, मंद, पंगु, असित, यमराज, मृत्यु, सूर्यसुवन, शनिश्चर, कृष्णांग, कपिलाक्ष, नीलकाय

शनि के अन्य उपाय

शनि के नीच अथवा अशुभ होने की स्थिति में निम्नलिखित उपाय करने से शांति होती है –
-शनिवार को व्रत करना चाहिए
-सुबह स्नान आदि करने के बाद सवा किलो काला कोयला, एक लोहे की कील एक काले कपड़े में बांधकर अपने सिर पर से घुमाकर बहते हुए जल में प्रवाहित कर दें और शनिदेव से प्रार्थना करें
-सरसो के तेल से 27 शनिवार शरीर की मालिश करवाने से भी शनि शांत रहते हैं.
-लोहे के बर्तन में दही चावल और नमक मिलाकर भिखारियों और कौओं को देना चाहिए.
– रोटी पर नमक और सरसों तेल लगाकर कौआ को देना चाहिए.
– तिल और चावल पकाकर ब्राह्मण को खिलाना चाहिए
-अपने दाहिने हाथ के नाप का उन्नीस हाथ लंबा काला धागा लेकर उसको बटकर माला की भांति गले में पहनें. इस प्रयोग से भी शनिदेव का प्रकोप कम होता है.
– शनि के दोष को मंगल हरता है इसलिए शनि ग्रह से पीड़ित व्यक्ति के लिए हनुमान जी के समक्ष हनुमान चालीसा एवं शनिस्तोत्रम का पाठ भी बहुत लाभदायक होता है.

शनि का दो विशेष उपाय

शनि के कुप्रभाव से बचने के लिये ये विशेष उपाय करें..
1- 11 नारियल जटा वाले ले लें (या 1 भी ले सकते हैं यदि सक्षम नहीं हैं ) और उसे काले कपड़े में बांध कर गंगा तट पर जाकर उसे दाहिने कान की तरफ से बायीं ओर से घुमा कर ‘ओंम शं शनैश्चराय नमः’ 11 बार बालकर नदी में प्रवाहित करें.
2-सवा किलो जौ काले कपड़े में बांध कर पोटली बना लें और उसे भी उपरोक्त विधि से सिर से घूमा कर जल में प्रवाहित करें.
3- सवा किलो कच्चा कोयला काले कपड़े में बांध कर उसे भी जल में सिर पर घुमाकर प्रवाहित करें.
4-सवा किलो चना काले कपड़े में दो कोयला, लोहे की कील के साथ बांध कर पोटली बनाएं और उसे भी उपरोक्त विधि से सिर पर घुमाकर प्रवाहित करें
6- सवा किलो रंगा, सीसा, सिक्का इन्हें भी उपरोक्त विधि से पोटली में बाँध कर प्रवाहित करें.
इसके बाद वस्त्र सहित स्नान करें और गंगा में खड़े होकर पश्चिम दिशा में मुंह करके अंजुली में काला तिल और जल लेकर तीन बार शनि देव को अंजली प्रदान करें और हाथ जोडकर उनसे कष्ट से मुक्ति के लिए प्रार्थना करें. तत्पश्चात नदी से निकल कर वस्र को वहीं छोड़ दें और नये वस्त्र धारण कर घर आ जाएँ। घर पर ब्राह्मण को भोजन खिलायें और उसे पर्याप्त दान करो। ब्राह्मण को खुश करके भेजना चाहिए.

कुछ विचित्र उपाय  –
1-जहाँ चील रहती हो वहां शनिवार के दिन कलेजा खरीद कर ले जाएँ और उसे चील को दिखा कर ऊपर की तरफ फेकें. यदि चील खा लेगी तो शनि पीड़ा से मुक्ति होगी.
2-घर में कछुआ पालें या कछुए को चारा डालें