महाभारत और भागवतपुराण में भारत के इतिहास का वर्णन है और भारत के प्राचीन इतिहास के एकमात्र स्रोत यही हैं. यदि महाभारत और भागवतपुराण के अनुसार इतिहास को ठीक से देखें तो श्री कृष्ण का जन्म समय लगभग में निश्चित किया जा सकता है. कृष्ण की कुंडली बनाना तो लगभग असम्भव है. भागवत पुराण के इन कुछ श्लोको को देखें और स्वयं अपनी बुद्धि से इतिहास को समझें-
श्रीशुक उवाच
योऽन्त्य: पुरञ्जयो नाम भविष्यो बारहद्रथ: ।
तस्यामात्यस्तु शुनको हत्वा स्वामिनमात्मजम् ॥ १ ॥
प्रद्योतसंज्ञं राजानं कर्ता यत् पालक: सुत: ।
विशाखयूपस्तत्पुत्रो भविता राजकस्तत: ॥ २ ॥
नन्दिवर्धनस्तत्पुत्र: पञ्च प्रद्योतना इमे ।
अष्टत्रिंशोत्तरशतं भोक्ष्यन्ति पृथिवीं नृपा: ॥ ३ ॥
शिशुनागस्ततो भाव्य: काकवर्णस्तु तत्सुत: ।
क्षेमधर्मा तस्य सुत: क्षेत्रज्ञ: क्षेमधर्मज: ॥ ४ ॥
विधिसार: सुतस्तस्याजातशत्रुर्भविष्यति ।
दर्भकस्तत्सुतो भावी दर्भकस्याजय: स्मृत: ॥ ५ ॥
नन्दिवर्धन आजेयो महानन्दि: सुतस्तत: ।
शिशुनागा दशैवैते सष्ट्युत्तरशतत्रयम् ॥ ६ ॥
समा भोक्ष्यन्ति पृथिवीं कुरुश्रेष्ठ कलौ नृपा: ।
महानन्दिसुतो राजन् शूद्रागर्भोद्भवो बली ॥ ७ ॥
महापद्मपति: कश्चिन्नन्द: क्षत्रविनाशकृत् ।
ततो नृपा भविष्यन्ति शूद्रप्रायास्त्वधार्मिका: ॥ ८ ॥
इसमें परीक्षित ने पूछा है कि कृष्ण जब स्वधाम को पधार गये तब किस वंश का राज्य हुआ ? शुकदेव कहते हैं कि जरासंघ के पिता बृहदरथ (BC-1700) के वंश के अंतिम राजा पुरंजय हुआ. उसके मंत्री शुनक ने पुरंजय को मार दिया और अपने पुत्र प्रद्योत को राजा बनाया. यहाँ उसके वंश में पांच राजा हुए. इनका कुल शासन 148 वर्ष रहा. इसके बाद शुशुनाग राजा हुआ जिसने शिशुनाग वंश को स्थापित किया(413–395 BCE). इसमें दस राजा हुए. इनका राज 308 वर्ष रहा. इसके बाद महानंदी राजा हुआ जिसे महापद्म कहा गया है. महापद्म ने नंद वंश और साम्राज्य स्थापित किया, इसका एकक्षत्र राज्य हुआ. इसे दूसरा परशुराम कहा गया है क्योंकि महानंद ने क्षत्रियों का नाश किया था. इसके आठ पुत्र हुए जो सौ वर्ष राज्य किये. इसके बाद मौर्य साम्राज्य का जन्म हुआ. इसका वर्णन सबसे पुराने मत्स्य पुराण में भी है. लगभग 100 वर्ष इसका शासन था. यदि इसके अनुसार गणित करेंगे तो जरासंध के पिता का वंश में अंतिम राजा पुरंजय हुआ. महाभारत में जरासंध वध की कथा है. जरासंध के वध के समय कृष्ण स्वयं उपस्थित थे. इतिहास के अनुसार कोई भी साम्राज्य 400-500 वर्ष से ज्यादा नहीं चलता. इस तर्क से देखें तो बृहदरथ वंश में ही जरासंध मगध का राजा था. बृहदरथ की किस पीढ़ी में जरासंध राजा हुआ? यह जान लें तो कृष्ण का लगभग समय मिल सकता है.
भागवत पुराण के अनुसार कृष्ण के जन्म का लगभग अनुमान लगा सकते हैं क्योंकि नन्दवंश और मौर्य वंश का इतिहास और समय निश्चित है.
अनेक इंटरनेट ज्योतिषी एक ठीक ठीक भविष्यवाणी नहीं कर सकते लेकिन ये ज्योतिषी श्री कृष्ण की कुंडली पर स्पेकुलेशन करते रहते हैं. नीचे ऐसी ही एक कुंडली दी जा रही है जिसे एक प्रसिद्ध दक्षिण भारतीय ज्योतिषी ने बनाई थी ..इनके रीडिंग को हमने कार्ल मार्क्स की कुंडली पर चर्चा में ख़ारिज किया था –


