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वैदिक ज्योतिष में शनि ग्रह को सर्वाधिक मंद ग्रह माना जाता है. शनि के बाद राहु केतु ही सबसे मंद ग्रह हैं. राहु केतु सदैव वक्री चाल चलते हैं और लगभग डेढ़ वर्ष की अवधि में यह अपनी राशि परिवर्तन करते हैं. राहु को शनिवत  कहा जाता है अर्थात यह शनि के समान भी फल देता है. हलांकि यह कोई शाश्वत सिद्धांत नहीं है और सदैव ऐसा नहीं है. शनि कभी अकस्मात घटनाओं की श्रृंखला को जन्म नहीं देता, राहु देता है और झटके से काम कराता है. शनि अपना स्वामी है और अपना स्वतंत्र फल कर सकता है. राहु का अपना कोई चरित्र नहीं होता है, यह अपना स्वतंत्र फल नहीं कर सकता है; लेकिन फिर भी आकस्मिकता, नीच कर्म, स्वछन्दता इत्यादि कुछ इसके निश्चित चरित्र अवश्य हैं.
रौद्रो रूद्रप्रियो दैत्य: स्वर्भानु र्भानुभीतिद:। ग्रहराज सुधापायी राकातिथ्यभिलाषुक: ।।
राहु को सबसे शक्तिशाली माना गया है और कुछ जगह ग्रहों का राजा भी कहा गया है. यह शिव भक्त माना जाता है और अमृत पीने के कारण अमर है. सर्प को काट देने पर भी वह लम्बे समय तक जिन्दा रहता है. कुछ सर्प ऐसे भी हैं जो काट देने पर यदि सिर बचा रह जय तो पुन: देह की वृद्धि कर लेते हैं. राहु दैत्य का सिर है इसलिए राहु बहुत रेशनल है. राहु का गोचर इस वर्ष होने वाला है. राहु 30 अक्टूबर 2023 तक तो मंगल की राशि मेष राशि में ही रहेगा लेकिन 30 अक्टूबर की दोपहर 1:33 बजे मीन राशि में प्रवेश कर जायेगा. राहु का गोचर या ट्रांजिट शनि के बाद सबसे महत्वपूर्ण माना गया है. राहु-केतु छाया ग्रह कहलाते हैं क्योंकि इनका भौतिक अस्तित्व नहीं है. राहु-केतु को सूर्य और चंद्र के परिक्रमा पथ के दक्षिणी और उत्तरी कटान बिंन्दू के रूप में जाना जाता है. पश्चिम के ज्योतिष में राहु का अस्तित्व नहीं था लेकिन अब वे भी राहु को (north node) महत्वपूर्ण मानने लगे हैं. पश्चिम के ज्योतिष में केतु को अब भी महत्व नहीं दिया जाता.

राहु धूम्र वर्ण का माना गया है और यह माना जाता है कि यह भ्रम (Delusion, chimera, phantasm ) फैलाने का  कार्य करता है, इसे फोबिया, व्यापक पैमाने पर धोका, ठगी को अंजाम देने वाला माना गया है. राहु कूटनीति में माहिर है इसलिए जिन लोगों की कुंडली में राहु अच्छा होता है,‌ वे राजनीति और कूटनीति के क्षेत्र में माहिर बनते हैं. राहु का अपना कोई चरित्र नहीं है इसलिए तेजी से रूप बदलने वाला बहुरुपिया की तरह बर्ताव करता है. तीव्र बुद्धि वाला है क्योंकि बुध की राशि इसकी उच्च राशि मानी जाती है, यह छल करने में माहिर होता है. राहु अक्सर व्यक्ति को भ्रमित कर जुर्म और गलत काम में धकेल कर उसका नाश करता है. यह तत्काल परिणाम देने वाला ग्रह है. यह रातों-रात व्यक्ति को अमीर बना सकता है या कंगाल बना सकता है. यह झूठी आशाएं, अंधविश्वास और अविद्या की दृष्टि, दुराचार, ठगी, ड्रग, वेश्यावृत्ति, अंडरवर्ल्ड, छद्म युद्ध इत्यादि का कारक है. वेश्याओं, ड्रग लार्ड, क्रिमिनल्स और जमाखोरों की कुंडली में राहु बहुत प्रभावी होता है. सोशल मीडिया पर अपनी पहचान छुपा कर छद्म युद्ध करने वाले, झूठ फ़ैलाने वाले तथा ठगी करने वाले धूर्त लोगों में यह कार्यरत रहता है. यदि राहु कुंडली में योगकारक ग्रह के साथ केंद्र अथवा त्रिकोण भाव में स्थित हो जाए तो योगकारक बनकर जीवन में हर सफलता प्रदान कर सकता है.

कलियुग में तो राहु का प्रभाव और भी अधिक है जिसका कारण पृथ्वी के ध्रुव का इसकी मूलत्रिकोण राशि में प्रविष्ट होना है. जिन जातकों पर राहु का प्रभाव अधिक होता है वे अधोदृष्टि वाले और घुमक्कड़ होते हैं. शुभ ग्रह द्वारा अदृष्ट राहु की महादशा में ज्यादातर जातक व्यसनों की तरफ जाते दिखते हैं. किसी तरह की बुरी लत, अवैध गतिविधियां, जुआ, नशा, आदि राहु अपनी दशा में अवश्य करा सकता है. राहु का एक बड़ा गुण ये है कि परम्परा विरोधी होता है और रूढ़ियों के खिलाफ क्रांति फैलाने का काम  करता है. यह मूलभूत रूप से फेमिनिन है और नवाचार को बढ़ावा देता है. विश्व भर में फेमिनिस्ट महिलाओं की कुंडली में राहु बहुत शक्तिशाली होता है. यह सब कुछ कुंडली में राहु की स्थिति पर निर्भर करता है. ज्यादातर ज्योतिष ग्रन्थों के अनुसार राहु तीसरे भाव, छठे भाव, दसवें भाव और ग्यारहवें भाव में सर्वाधिक शुभ फल प्रदान करता है. यहां स्थित राहु व्यक्ति को मान-सम्मान दिलाता है और’ धन की प्राप्ति कराता है. दशम भाव में स्थित राहु राजयोगकारी होता है यदि अकेला हो या त्रिकोण स्वामियों के साथ हो या दृष्ट हो. राहु यदपि की कायर है लेकिन किसी अग्नि प्रधान राशि में, पराक्रम भाव में, किसी पराक्रमी ग्रह के साथ यह क्रूर और पराक्रमी होता है. यह शत्रुओं पर विजय दिलाता है और व्यक्ति को प्रतिष्ठा प्रदान करता है.

राहु की‌ एक विशेषता यह भी है कि यह जिस भाव में होता है, जिस शुभ-पाप-मारक ग्रह के साथ होता है या दृष्ट होता है उनके स्वभाव के अनुसार फल प्रदान करता है. यदि  राहु से जुड़े ग्रह कुंडली में कमजोर हैं, नीच हैं, दु:स्थान के स्वामी हैं तो उसी के अनुसार फल करता है. कुम्भ राशि राहु की मूलत्रिकोण राशि होने से इसे इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी का एक प्रमुख ग्रह माना जाता है और इसलिए यह जातक को तकनीकी दक्षता प्रदान कर सकता हैं. यह जन्म कुंडली में बुध के अनुसार भी फल अवश्य करता है. राहु प्रभावित जातक बहुधा उदार होते हैं और परे की सोच रखने वाले होते हैं. विमान, तकनीकी, मीडिया, अविष्कार, LGBT, रसायन विद्या, औषधि, ड्रग आदि पर राहु का अधिकार है. यदि राहु अच्छा हो तो यह व्यक्ति को जीवन में हर सफलता प्रदान कर सकता है लेकिन यह ध्यान रखना चाहिए कि राहु अपने अप्रत्याशित स्वभाव को नहीं छोड़ता.

वर्ष 2023 में होने वाला राहु का गोचर किस तरह का फल देगा यह जन्म कुंडली में उसकी स्थिति और चल रही दशा के स्वामी अर्थात दशानाथ, लग्नेश, सूर्य और जिस राशि में गोचर कर रहा उसके स्वामी की स्थिति तथा चन्द्रमा से किस स्थिति में जा रहा पर निर्भर करता है. ज्योतिष वेबसाईट पर जो गोचर फल दिए जाते हैं उसमें सत्यता 5 प्रतिशत ही होती है, ज्यादातर किसी काम की नहीं होती. यह सिर्फ मनोरंजन के लिए ही ठीक है. राहु के गोचर फल को कुंडली देखे बिना नहीं बताया जा सकता है. दृक पंचांग के अनुसार राहु 30 अक्टूबर की दोपहर 1:33 बजे मीन राशि में रेवती चतुर्थ चरण में प्रविष्ट होगा. इस चरण में यह वर्गोत्तम होगा. गोचर के समय बृहस्पति से द्वादश और नक्षत्र स्वामी अपने उच्च नाथ बुध से षष्टम-अष्टम सम्बन्ध में रहेगा. शनि से द्वितीय और राज्यकारक सूर्य तथा मंगल से भी षष्टम-अष्टम रहेगा लेकिन चन्द्रमा से एकादश स्थान में रहेगा. ऐसी स्थिति में इसका मोटा मोटा फल कुछ ऐसा होगा – तकनीकी, सोशल मीडिया को लाभ, धर्म व्यापार, ब्राह्मणों और क्षत्रियों की हानि कर सकता है. सत्ताधारी की हानि की सम्भावना है. फासिस्ट ताकतें मीडिया का दुरूपयोग कर दंगा इत्यादि कर सकती हैं. बृहस्पति का द्वादश होने के कारण विदेशी ताकतें देश की राजनीति में फासिस्टों के साथ मिलकर षड्यंत्र कर सकती हैं. राहु पारम्परिक धर्म की हानि लेकिन आध्यात्मिकता की वृद्धि करने वाला होगा. स्त्रियों और फेमिनिज्म के लिए राहु का यह गोचर काफी शुभ होगा. ‘सिर तन से जुदा’ का नारा देने वाले बाबाओं में और फासिस्ट ठगों में राहु एक्टिव रहता है, यह ध्यान रखना चाहिए. दलित पार्टियों के लिए भी राहु का गोचर शुभ रहेगा परन्तु दलितों को राहु धर्म द्वारा भरमा सकता है. जिन जातकों का जन्म मीन के राहु के साथ हुआ है उनके जीवन में अकस्मात बड़ा परिवर्तन होने की सम्भावना है. राहु 18 वर्ष बाद राशि चक्र को पूरा करके आगे बढ़ रहा है ऐसे में राहु का गोचर बड़े परिवर्तन ले आएगा.