शनि को वैदिक ज्योतिष में और नवग्रहों में एक प्रमुख स्थान हासिल है. शनि को न्याय और कर्म का कारक माना जाता है. शनि कर्म कारक है ऐसे में उसकी अनिष्टकारी दशा में कर्म क्षेत्र गहरे प्रभावित होता है और जातक को कष्ट की प्राप्ति सम्भव है. शनि कर्मों के मुताबिक हमें फल देता है. ऐसा माना जाता है कि शनि यदि शुभ हो तो रंक से राजा बना देता है और जिनकी कुंडली में अशुभ पाप मारक है तो उसे मुसीबतों का सामना करना पड़ता है.
शनि मीन राशि में उत्तर भाद्रपद 2 में गोचर कर रहा है. शनि इसी राशि में अब 138 दिन वक्री रहेगा. शनि की यह उल्टी चाल कई राशि वालों को बहुत बड़ी मुसीबत में डाल सकती है. शनि 13 जुलाई को 8 बजकर 13 मिनट पर वक्री होगा. दिन शनिवार और तिथि कृष्ण तृतीया है. शनि 28 नवम्बर 2025 को शुक्रवार शुक्ल अष्टमी को मार्गी होगा. शनि पूर्वभाद्रपद प्रथम पाद में मार्गी होगा और पुन: तीन महीने बाद 21 फरवरी 2026 में अपने नक्षत्र में गोचर करेगा.
वक्री शनि के गोचर के दौरान मेष, मिथुन, सिंह, कुम्भ, धनु और मीन राशि के जातकों को विशेष परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है. कर्क राशि के जातकों के लिए शनि सबसे अनिष्टकारी होता है. लेकिन वर्तमान गोचर में भाग्य भाव से लाभेश और लाभ भाव पर दृष्टि से इन जातकों को लाभ मिलने की सम्भावना है. धन भाव से योगकारक की दृष्टि शनि पर होने से शनि शुभ फलदायक रहेगा. वर्तमान में शनि पर मंगल की पूर्ण दृष्टि है तो दूसरी तरफ शनि की शुक्र पर पूर्ण दृष्टि है. जिनकी कुंडली में मंगल शुभ ग्रह है उन्हें शनि मालामाल कर सकता है.

