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आषाढ़ पूर्णिमा को ही गुरु पूर्णिमा कहा जाता है. इस पूर्णिमा से विधिवत चातुर्मास्य का प्रारम्भ होता है. आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा के दिन भगवान वेद व्यास का जन्म हुआ था, इसलिए आषाढ़ पूर्णिमा उनको और सभी गुरुओं को समर्पित है. गुरु पूर्णिमा को ही व्यास पूर्णिमा भी कहते हैं. गुरु पूर्णिमा का पर्व बृहस्पतिवार, 10 जुलाई को पड़ रहा है. इस दिन आषाढ़ पूर्णिमा का स्नान और दान भी होगा. आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि में पूरे दिन पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र और 21:36 मिनट तक इंद्र योग भी रहेगा. इस दिन भगवान व्यास और गुरु की पूजा करना चाहिये. भागवत में व्यास देव को विष्णु भगवान का अवतार कहा गया है. गुरु पूर्णिमा के अवसर पर अपने गुरुजनों का आशीर्वाद लेना चाहिये, सेवा-सत्कार करना चाहिए और उन्हें कुछ न कुछ दान, सुंदर वस्त्र इत्यादि आवश्य प्रदान करना चाहिए.

मुहूर्त –
पंचांग के अनुसार आषाढ़ माह की पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 10 जुलाई को रात 01 बजकर 36 मिनट से होगी और अगले दिन यानी 11 जुलाई रात को 02 बजकर 06 मिनट पर तिथि खत्म होगी. इस प्रकार से 10 जुलाई को गुरु पूर्णिमा का व्रत पूजन किया जाएगा.
इस दिन ब्रह्म मुहूर्त सुबह 4:10 से 4:50 बजे तक रहेगा. अभिजीत मुहूर्त दोपहर 11:59 से 12:54 बजे तक, विजय मुहूर्त दोपहर 12:45 से 3:40 तक और गोधूलि मुहूर्त शाम 7:21 से 7:41 बजे तक हैं. निशिता मुहूर्त रात 12 बजकर 06 मिनट से 12 बजकर 47 मिनट तक रहेगा.