
आज रविवार को देवशयनी एकादशी पर साध्य योग में चातुर्मास का आरंभ हो जाएगा. देवशयनी एकादशी के दिन इस दिन संसार के पालन कर्ता भगवान विष्णु चार महीने के लिए योग निद्रा में चले जाते हैं. इस महीने से सृष्टि का कार्यभार रुद्र करते हैं. देवशयनी एकादशी के बाद चार महीने चातुर्मास में मांगलिक कार्य वर्जित हो जाते हैं ऐसे में विवाह, गृहप्रवेश, आदि मांगलिक कार्य नहीं किये जायेंगे. चातुर्मास्य दक्षिणायन के चार महीने हैं जिसमे घनघोर वर्ष होती है. ऐसे में प्राचीन काल में ऋषि महर्षि कहीं आते जाते नहीं थे, वे आश्रम में ही धर्म का उपदेश करते थे. आश्रम में चार महीने बिताते थे. आश्रम में शिष्य गुरु के साथ धर्म साधना में निरत रहते थे. इस काल में आचार्यों का समय धर्म, अध्यात्म तथा अध्ययन अध्यापन में बीतता है. इस दौरान व्रत, अनुष्ठान किये जाते हैं.
चातुर्मास के चार महीने में अनेक व्रत और त्यौहार पड़ते हैं. इसी महीने में राखी, जन्माष्टमी, दशहरा, दीपावली इत्यदि त्यौहार मनाये जाते हैं. इन चार महीने में विशेष रूप से शिव की पूजा की परम्परा है. यह रोग व्याधि का महिना भी है इसलिए इस दौरान विशेष संयम रखना चाहिए, खानपान का विशेष ध्यान रखना चाहिए. चातुर्मास्य में हरी शब्जियाँ नहीं खाना चाहिए क्योंकि वर्ष ऋतू के कारण शब्जियाँ दूषित होती हैं. ऐसा पुराणों में कहा गया है कि सावन में साग, भादों में दही, कार में दूध और कार्तिक में दाल का त्याग कर देना चाहिये. इस चार महीने को तप और स्वाध्याय में लगाना चाहिए और शिव का पूजन करना चाहिए.