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हिंदू पंचांग में त्रयोदशी तिथि मास में दो बार आती है. एक कृष्ण पक्ष में जबकि दूसरी शुक्ल पक्ष में होती है. कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी का शैव धर्म में विशेष महत्व है. यह तिथि इस बार 23 जून सोमवार को है. सोमवार को पड़ने से यह तिथि अत्यंत शुभ हो गई है. हर एक वार के अनुसार प्रदोषव्रत का माहात्म्य है. रविवार के दिन प्रदोष व्रत आप रखते हैं तो सदा नीरोग रहेंगे. सोमवार के दिन व्रत करने से आपकी इच्छा फलित होती है. मंगलवार को प्रदोष व्रत रखने से रोग से मुक्ति मिलती है और आप स्वस्थ रहते हैं. बुधवार के दिन इस व्रत का पालन करने से सभी प्रकार की कामना .सिद्ध होती है. बृहस्पतिवार के व्रत से शत्रु का नाश होता है. शुक्र प्रदोष व्रत से सौभाग्य की वृद्धि होती है. शनि प्रदोष व्रत से पुत्र की प्राप्ति होती है.

प्रदोष व्रत मुहूर्त-

वैदिक पंचांग के अनुसार, आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 23 जून को देर रात 01 बजकर 21 मिनट पर शुरू होगी. 23 जून को रात 10 बजकर 09 मिनट पर त्रयोदशी तिथि समाप्त होगी. त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष काल में भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा की शैव मान्यता है. इसलिए 23 जून को आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष का प्रदोष व्रत रखा जाएगा. इस दिन भगवान शिव की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त शाम 07 बजकर 22 मिनट से लेकर 09 बजकर 23 मिनट तक है. सोमवार के दिन पड़ने के कारण यह सोम प्रदोष व्रत है. हर वार को प्रदोष व्रत का अपना माहात्म्य है.