ज्योतिष में पांच ग्रहों से ही राजयोग कहा गया है. प्राचीन ज्योतिष ग्रंथों में राहु या केतु से राजयोग का वर्णन नहीं मिलता सिवाय इसके कि कुछ हाउस में कुछ स्थितियां हो तो राहु राजयोग देने वाला होता है. सभी राशियों भी राहु राजयोग नहीं देता भले ही दसवे ही क्यों न हो. यह दसवे या त्रिकोण में या कुछ हाउस में राजयोगकारक होता है लेकिन यह सर्वथा सत्य नहीं है क्योकि सभी राशियों में राहु शुभ फलदायक नहीं होता. सभी राशियों में राहु अच्छा फल नहीं देता, यह भी प्राचीन ज्योतिष आचार्यों का मानना है.
लेकिन कुछ प्राचीन आचार्यों राहु से राजयोग का वर्णन किया है. राहु से जो योग बनता है उसे ” रूप योग” कहा गया है. यह 13 साल में ही खुल जाता है और जातक को राजयोग हो जाता है. राहु से नवें और पंचम यदि मंगल के साथ सूर्य हो तथा राहु का राशि अधिपति उच्च का हो और अपने नवांश में हो तो यह योग बनता है. यह श्रेष्ठ स्थिति है, लेकिन यदि राहु से त्रिकोण में सूर्य मंगल साथ हों तब भी यह योग होता है.
यह योग मेष, वृष, मिथुन. सिंह, तुला और वृश्चिक में नहीं बनता. बहुत सारे योगों के साथ ऐसा है कि वे लग्न विशेष में ही बनते हैं.
राहु से बनने वाले एक और योग का जिक्र मिलता है जिसे “मुसल योग” कहा गया है. इस योग के अनुसार यदि राहु दसवें हो और राशि अधिपति उच्च का हो तथा शनि दृष्ट हो तो यह राजयोग बनता है. इस योग का फल है कि जातक बहुत धनी और बड़ा व्यापारी होता है.

