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प्रदोष व्रत हर महीने की त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है. वैष्णवों की एकादशी की तरह ही शैवों का प्रदोष व्रत भी हर महीने में दो बार आता है. पहला प्रदोष व्रत कृष्ण पक्ष और दूसरा प्रदोष व्रत शुक्ल पक्ष में होता है, इस तरह से एकादशी की तरह ही साल में कुल प्रदोष व्रत 24 बार होता है. इस बार ज्येष्ठ महीने के कृष्ण पक्ष का प्रदोष व्रत 24 मई 2025 को रखा जाएगा. यह शनि प्रदोष है इसलिए इस प्रदोष व्रत में शिव की पूजा शनि दोष निवारण के लिए भी करना चाहिए. धार्मिक मान्यता है कि शाख महीने के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन प्रदोष काल में भगवान शंकर शिवलिंग में वास करते हैं, इस दिन जो भी भक्त भगवान शिव की विविध प्रकार से पूजा करता है, उसे धन, सुख और ऐश्वर्य का आशीर्वाद मिलता है.

प्रदोष मुहूर्त-

वैदिक पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ माह कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि की शुरुआत 24 मई को शाम 7 बजकर 20 मिनट पर होगी . वहीं तिथि का समापन अगले दिन यानी 25 मई को 3 बजकर 51 मिनट पर होगी. इस दिन भगवान शिव की पूजा प्रदोष काल में की जाती है. ऐसे में ज्येष्ठ माह का पहला प्रदोष व्रत 24 मई को रखा जाएगा. प्रदोष व्रत शनिवार के होने की वजह से यह शनि प्रदोष व्रत है.