सभी ग्रहों के गोचर में धीमी गति से चलने वाले ग्रहों का गोचर विशेष महत्व का होता है. शनि के मीन राशि में गोचर के बाद अब अगले महीने माई में गुरु, राहु और केतु का गोचर हो रहा है. गुरु बृहस्पति हर एक साल में राशि परिवर्तन करते हैं. गुरु को एक राशि चक्र का परिभ्रमण करने में करीब 12 साल का वक्त लगता है. अगले महीने बृहस्पति 14 मई 2025 को सुबह 10:53 बजे बुध की राशि मिथुन में प्रवेश करेंगे, और 18 अक्तूबर 2025 तक वहीं रहेंगे. वैदिक ज्योतिष शास्त्र में गुरु ग्रह का विशेष महत्व होता है।
बृहस्पति बेहद शुभ ग्रह हैं और धन तथा सुख के नैसर्गिक कारक हैं, ऐसे में बृहस्पति का गोचर अत्यंत महत्वपूर्ण होता है. बृहस्पति को लग्न में बलवान माना जाता है. बृहस्पति मिथुन राशि में दशमेष होकर लग्न में गोचर करेंगे, ऐसे में मिथुन जातकों के लिए शुभकारक हो सकते हैं. अपने गोचर में इन्हें दशम भाव का फल प्रदान करेंगे और उनकी प्रतिष्ठा में वृद्धि करेंगे. बृहस्पति उच्चाभिमानी हैं अर्थात अपनी उच्च राशि कर्क की तरफ जा रहे हैं. कर्क लग्न राशि के लिए द्वादश में गुरु विदेश की यात्रा करा सकते हैं और लाभ भी प्रदान कर सकते हैं. कर्क लग्न के जातकों के धर्म भाव को बढ़ाएगा लेकिन साथ में कुछ कष्ट की भी प्राप्ति हो सकती है. सिंह लग्न और राशि के लिए गुरु का लाभ भाव में गोचर लाभदायक होगा. सिंह लग्न के जातकों को राज सत्ता से लाभ, धन, स्त्री और पुत्र की प्राप्ति कराएगा. कन्या लग्न और राशि में गुरु दसम भाव में गोचर कर रहे हैं. यहाँ इन जातकों के लिए भी गुरु शुभ फलदायक होने वाले हैं. इन्हें राज्य लाभ, सम्मान और प्रतिष्ठा प्राप्त होगी. यदि बृहपति की महादशा अंतिम चरण में है तो कष्टदायक हो सकती है.
तुला लग्न और राशि के लिए गुरु का गोचर नवम भाव में हो रहा है. इस लग्न में गुरु एक पाप ग्रह है लेकिन नैसर्गिक शुभ ग्रह है इसलिए यहाँ इन जातकों का कर्म क्षेत्र में भाग्य चमकेगा. इन्हें लाभ होगा और इनको कोई अच्छी खबर मिलेगी. वृश्चिक लग्न और राशि के लिए गुरु का गोचर अष्टम में हो रहा है. यह गोचर इनके लिए शुभफलदायक नहीं होगा. यदपि कि कर्म क्षेत्र में कोई विशेष परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ेगा. धनु लग्न और राशि के सप्तम भाव में बृहस्पति का गोचर इन जातकों के लिए लाभप्रद होगा और इन्हें घर, मकान इत्यादि प्राप्ति करा सकता है. अविवाहित जातकों के लिए भी यह गोचर शुभ होगा और उनकी शादी करा सकता है. लेकिन वैवाहिक जीवन के लिए कुछ कष्टदायक भी हो सकता है. सप्तम भाव में बृहस्पति वैवाहिक जीवन के लिए शुभ फलदायक नहीं होता. मकर लग्न के जातकों के लिए भी बृहस्पति शुभ फलदायक नहीं होता लेकिन तृतीयेश और द्वादशेश का षष्टम भाव में गोचर इनके लिए लाभदायक होगा. इनके रुके काम बनेगे, इनके रोजगार साधन बनेंगे और कार्य के सिलसिले में विदेश की यात्रा भी हो सकती है. कुम्भ लग्न के पंचम में बृहस्पति का गोचर इन जातकों के लिए लाभदायक हो सकता है, इन्हें धन धन्य की प्राप्ति, पद की प्राप्ति और साथ साथ सन्तान की प्राप्ति भी करा सकता है. वहीं मीन लग्न में बृहस्पति चतुर्थ भाव में गोचर कर रहा है जो इनके लिए अनेक प्रकार से शुभफलदायक होने वाला है. इनके जीवन में सुख सौख्य की वृद्धि होगी और नये वाहन और घर की प्राप्ति हो सकती है. इन जातकों को भी बृहस्पति विदेश की यात्रा करा सकता है. मेष लग्न और राशि के तीसरे भाव में बृहस्पति का गोचर इन जातकों के लिए भी शुभ फलदायक होगा, इनके पराक्रम में वृद्धि होगी और नये काम की शुरुआत हो सकती है. इन्हें इस गोचर में गुरु कोई अच्छी खबर भी दे सकते हैं. यहाँ गोचर करते हुए बृहस्पति इन्हें लाभ भी प्रदान करेंगे. इन जातकों के भाइयों को भी सुख प्रदान करेंगे. वृषभ लग्न और राशि के लिए गुरु का धन भाव में गोचर अत्यंत शुभ फलदायक होने वाला है. एकादशेश का धन भाव में गोचर हो रहा है, इन जातकों के धन की वृद्धि होगी. इन जातकों के परिवार में नये सदस्य का भी आगमन हो सकता है. यहाँ गुरु इन्हें पद और प्रतिष्ठा भी दिला सकता है लेकिन गुरु इस लग्न में अष्टमेश है इसलिए इस गोचर में कुछ कठिनाईयां भी आ सकती है. इन जातकों को स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखना चाहिए.

