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जन्म कुंडली में भाव हानि होने पर उस हॉउस का फल नहीं मिलता या उसका अशुभ फल प्राप्त होता है या दशाओं में उसका अल्प फल प्राप्त होता है. किसी भाव के नाश या हानि के कई ज्योतिषीय कारण होते है. मसलन ऐसा कहा जाता है कि अष्टमेश जिस भाव में बैठता है उसकी हानि करता है या उसको नष्ट कर देता है. या किसी शुभ भाव में कोई पाप ग्रह उस भाव की हानि करता है. जिस भाव का स्वामी और कारक बलवान हों और अच्छे भाव में बैठे हों उस भाव सम्बन्धी शुभ और पूर्ण फल होता है. यहाँ ऐसे 16 कारण बताये जा रहे हैं जिनसे भाव की हानि होती है –

1- यदि कोई भाव बल रहित हो अर्थात निर्बल हो

2-भावेश यदि निर्बल हो

3-यदि भाव पाप ग्रह के मध्य में हो अर्थात दोनों तरफ पाप ग्रह हों

4-यदि भावेश पाप कर्तरी योग में हो

5-यदि भाव का कारक के आगे पीछे पाप ग्रह हों

6-यदि भाव कारक बलहीन हो

7-यदि भाव पाप ग्रह से पीड़ित हो या शत्रु ग्रह उसमे बैठे हों और शुभ ग्रह से दृष्ट या युत न हो

8-यदि भावेश पाप ग्रह के साथ हो और शुभ ग्रह से दृष्ट या युत न हो

9-यदि कारक पाप ग्रह से पीड़ित हो और शुभ ग्रह से दृष्ट या युत न हो

10-यदि भाव पाप ग्रह से दृष्ट हो या शत्रु से दृष्ट हो शुभ ग्रह से दृष्ट न हो

11- यदि भावेश पाप ग्रह से दृष्ट हो या शत्रु से दृष्ट हो शुभ ग्रह से दृष्ट न हो

12-यदि कारक पाप ग्रह से दृष्ट हो या शत्रु से दृष्ट हो शुभ ग्रह से दृष्ट न हो

13-यदि भाव से चौथे, अष्टम, द्वादश, नवम, पंचम में पाप ग्रह हों

14-यदि भावेश से चौथे, अष्टम, द्वादश, नवम, पंचम में पाप ग्रह हों

15- यदि कारक से चौथे, अष्टम, द्वादश, नवम, पंचम में पाप ग्रह हों

16-यदि भावेश, और कारक भाव से अष्टम और द्वादश हों