वैदिक ज्योतिष के अनुसार जन्म कुंडली में मारक भावों के इतर तीन हाउस पाप के हाउस कहे गये हैं -3rd, 6th, 11th. वैसे तो ये जातक के सांसारिक उपलब्धियों के बावत अच्छे माने जाते हैं लेकिन आध्यात्मिक स्तर पर पाप हॉउस कहे जाते हैं. ये क्रम से पापत्व में बलवान होते हैं . 3rd का स्वामी कम पापी, 6th का उससे ज्यादा और 11th का सबसे ज्यादा पापी होता है. उदाहरण के लिए 11th हॉउस सभी इच्छाओं की पूर्ति के लिए हैं, इस हॉउस के बिना जातक की कोई इच्छा पूरी नहीं हो सकती. लेकिन यही सबसे बड़ा पाप का घर है. छठवां हॉउस तो अशुभ रोग भाव होने के कारण है. रोग ही सबसे बड़ा शत्रु भी है. यह कारण है कि इस हॉउस का स्वामी या यहाँ स्थित ग्रह में कारकत्व होता है और उनकी दशा अशुभ फल प्रदान करती है.
शनि या गुरु का यहाँ गोचर पापत्व के कारण ही ठीक नहीं होता. यदि यह हाउस कमजोर है तो शनि-गुरु का गोचर एकदम ठीक नहीं होता. इसका तत्व ज्ञान क्या है ? क्यों 11वां घर पापी है ? यह ईच्छा पूर्ति का घर है. धर्म ग्रन्थों में ईच्छा/वासना को ही सभी दुखों का कारण बताया गया है. ईच्छा और वासना के कारण ही मनुष्य ज्यादा पाप करता है.
ध्यायतो विषयान्पुंसः सङ्गस्तेषूपजायते।
सङ्गात् संजायते कामः कामात्क्रोधोऽभिजायते।।2.62।।
विषयोंका चिन्तन करनेवाले मनुष्यकी उन विषयोंमें आसक्ति पैदा हो जाती है. आसक्तिसे कामना पैदा होती है. कामनासे क्रोध पैदा होता है. क्रोध होनेपर सम्मोह (मूढ़भाव) हो जाता है. सम्मोहसे स्मृति भ्रष्ट हो जाती है. स्मृति भ्रष्ट होनेपर बुद्धिका नाश हो जाता है. बुद्धिका नाश होनेपर मनुष्यका पतन हो जाता है.
कई बार धन के लालच में या स्त्री के लालच में मनुष्य पाप करता है. उन पाप कर्मों का फल प्राप्त होता है, पाप से मनुष्य बहुत धन संग्रह कर लेता है. कई बार उस पाप का फल इसी जन्म में उसे मिल जाता है जब वह पकड़ा जाता है. जब अशुभ दशा में शनि कहीं गोचर करता है तो जातक जेल में चला जाता है.

