टॉम ऑल्टर अमेरिकी मूल के भारतीय शिक्षक और कलाकार थे. इनका जन्म 22 जून, 1950 को उत्तराखंड के मसूरी में हुआ था. उनके माता-पिता भारतीय क्रिश्चियन थे. टॉम की स्कूलिंग मसूरी के वुड्सटॉक स्कूल से हुई थी. इनका 1954 से 1968 तक का समय राजपुर और मसूरी में बीता था. इण्डिया में प्रारम्भिक शिक्षा के बाद टॉम कॉलेज की पढ़ाई के लिए अमेरिका की येल यूनीवर्सिटी गए थे लेकिन एक साल में ही वापस भारत आ गए. उन्हें अमेरिकी शिक्षा पद्धति पसंद नहीं आई. भारत आने के बाद उन्होंने हरियाणा के जगाधरी में सेंट थॉमस स्कूल में बतौर अध्यापक नौकरी की. इस वक़्त टॉम 19 साल के थे. टॉम ने सन 1970 में जगाधरी में राजेश खन्ना की फ़िल्म ‘आराधना’ देखी. यह फ़िल्म उन्हें इतनी अच्छी लग गई कि वे एक्टर बनने का ख्वाब देखने लगे. उन्होंने एक्टिंग के लिए भारतीय फ़िल्म और टेलिविज़न संस्थान FTII पुणे में दाखिला ले लिया. यहाँ उन्होंने थियेटर किया और यहीं उनका तमाम एक्टर्स से सम्पर्क हुआ और वे धीरे धीरे फिल्म उद्योग में प्रविष्ट हो गये. टॉम ऑल्टर ने अपने फ़िल्मी सफ़र में 300 से ज़्यादा फ़िल्मों में काम किया. उन्होंने बंगाली, आसामी, गुजराती, तेलुगू और तमिल भाषा की फ़िल्मों में भी काम किया. टॉम ऑल्टर ने अपने फ़िल्मी सफ़र की शुरुआत साल 1976 में आई रामानंद सागर की फ़िल्म चरस से की थी. उनकी कुछ सबसे प्रसिद्ध फ़िल्मों में विधु विनोद चोपड़ा की ‘परिंदा’, महेश भट्ट की ब्लॉकबस्टर ‘आशिकी’ और केतन मेहता की ‘सरदार’ हैं, जिसमें ऑल्टर ने लॉर्ड माउंटबेटन की भूमिका निभाई थी.
टॉम ऑल्टर भारतीय संस्कृति में रचे बसे हुए थे. सन 2008 में टॉम ऑल्टर को अभिनय के लिए पद्मश्री अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था. वे एक उदारवादी, अति संवेदनशील और बेहतरीन कलाकार थे. टॉम आल्टर का 29 सितंबर 2017 को 67 साल की उम्र में कैसर से निधन हो गया था.
वर्तमान भारत की नई पीढ़ी की सोच जिस पर फासिस्ट हिंदुत्व का गहरा प्रभाव है, इसको लेकर उनका यह साक्षात्कार काफी महत्वपूर्ण है –

