
वृंदावन के संत प्रेमानंद महाराज की प्रसिद्ध रात्रि पदयात्रा को अनिश्चित काल के लिए बंद कर दिया गया है. आश्रम की ओर से जानकारी दी गई है कि प्रेमानंद महाराज की तबीयत और बढ़ती भीड़ को देखते हुए यह यात्रा बंद की गई है. अब पदयात्रा को बंद करने के कई कारण बताये जा रहे हैं जिसमे ध्वनि प्रदुषण प्रमुख कारण बताया जा रहा है. वृन्दावन सोसाइटी के निवासियों को प्रेमानन्द की यात्रा ढोल नगाड़े बजाने और पटाखे फोड़ने से दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था. यह यात्रा रात्रि 2 बजे से होती थी जो राधाकेलि कुञ्ज पर खत्म होती थी. यह बात सामने आ रही है कि महिलाओं ने सड़क पर इसका विरोध किया है.

श्री हित राधा केलि कुंज आश्रम ने सोशल मीडिया हैंडल पर पोस्ट कर लिखा, “आप सभी को सूचित किया जाता है कि पूज्य महाराज जी के स्वास्थ्य व बढ़ती हुई भीड़ को देखते हुए, पूज्य महाराज जी, जो पद यात्रा करते हुए रात्रि 02:00 बजे से श्री हित राधा केलि कुंज जाते थे, जिसमें सब दर्शन पाते थे, वो अनिश्चित काल के लिए बंद किया जाता है।”
लोगों के मुताबिक, इस शोर से घर में रह रहे बीमार, बुजुर्ग, बच्चों और सुबह काम पर जाने वाले लोगों को दिक्कत होती है. इतना ही नहीं, मार्ग रोकने से कई बार बीमार लोगों को अस्पताल ले जाने में भी दिक्कत होती है. कॉलोनी की महिलाएं संत प्रेमानंद की पदयात्रा का विरोध करने के लिए तख्ती लेकर सड़क पर उतर आईं. इन तख्तियों पर लिखा है, “कौन-सी भक्ति, कौन -सा दर्शन, ये तो है केवल शक्ति प्रदर्शन।” लोगों का कहना है कि रात्रि पदयात्रा से ध्वनि प्रदूषण हो रहा है और इस पदयात्रा की वजह से मात्र 3 घंटे की नींद ले पाते हैं.
कुछ लोगों का कहना है कि ये मोदी भक्तों द्वारा कराया जा रहा है क्योंकि मोदी और मोदी भक्त चारो शंकराचार्यों से घृणा करते हैं. प्रेमानंद जी ने ने एक वीडियो में शंकराचार्यों को शिव रूप तथा सनातन धर्म का सर्वश्रेष्ठ गुरु बताया था. प्रेमानंद महाराज ने सोशल मीडिया पर हुए वायरल वीडियो में कहा था कि शंकराचार्य ‘हमारे धर्म का राजा’ हैं. उन्होंने कहा था कि शंकराचार्य शास्त्र सम्मत बात ही कहते हैं और धर्म के बारे में वह कभी शास्त्रों से इधर-उधर नहीं जाते. शंकराचार्य साक्षात् शिव हैं. सोशल मीडिया पर लोगों का कहना है कि योगी सरकार का विरोध करने वाले शंकराचार्य के बारे में ऐसी बातें कहने के कारण ही प्रेमानंद के खिलाफ विरोध की कवायद की गई, जिसके बाद अब प्रेमानंद की पदयात्रा को अनिश्चित काल के लिए बंद कर दिया गया.