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जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने रामभद्राचार्य के आरोपों को लेकर कहा कि मुझे शंकराचार्य ना माने कोई बात नहीं पर उन्हें संवेदनशील होना चाहिए. वह निर्मोही है तो सत्ता के प्रति भी रहे, वह सत्ता के प्रति मोह नहीं छोड़ पा रहे हैं. उन्होंने कहा कि वे जनतंत्र में विश्वास करते हैं और जनतंत्र में सत्य कहने के लिए शंकराचार्य होना ही जरूरी नहीं है, कोई भी नागरिक सत्ता के गलत करने उसके खिलाफ आवाज उठा सकता है.

उन्होंने आरोप लगाया कि  महाकुंभ में सैनिक शासन जैसी व्यवस्था हो गई है. शंकराचार्य को पीछे करके अखाड़े आगे हो गए. हमें स्नान के लिए सवारी की बाध्यता नहीं है, हम ऐसे ही पुण्य कमाकर चले जाते हैं.  उन्होंने कहा कि शंकराचार्य की प्रतिष्ठा बहुत बड़ी है. स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद जी फासिस्ट ठगों की सेवा करने वाले रामभद्राचार्यों से बहुत बड़े हैं. उन्होंने धर्म के अनुसार कर्तव्य निभाया और अधर्मी योगी को जबाबदेह ठहराया. शंकराचार्य आम जनता के गुरु होते हैं. लल्लनटॉप के पत्रकार अभिनव पांडे से बात करते हुए उन्होंने क्या कहा आप भी सुनें-