
महाकुंभ के पहले स्नान पर्व मकर संक्रांति के अमृत स्नान के अवसर पर मेला प्रशासन की तैयारियों की पोल खुल गई. आमजनता सहित साधु संतों ने भी बड़ी नाराजगी दिखाई है. लोगो ने कहा कि 2012 का कुम्भ मेला सबसे बेहतर था, सारी सुविधाएँ जनता को मिली थी. अव्यवस्था से नाराज साधु-संत बड़ा उदासीन अखाड़े के महंत दुर्गादास के नेतृत्व में धरने पर बैठ गए. उनका कहना था कि संगम क्षेत्र में तमाम अव्यवस्थाएं हैं. साधु-संतों, संन्यासियों और श्रद्धालुओं को स्नान के दौरान असुविधाओं का सामना करना पड़ रहा है. महिलाओ की शिकायतों के वीडियों सैकड़ो आ चुके हैं जिसमे उन्होंने न केवल अव्यस्था का जिक्र किया है बल्कि यह भी कह रही हैं घाट पर लुक्के हैं जो नहाने नहीं दे रहे और बदमाशी करते हैं, अंग छूने का प्रयास करते हैं. महिलाओं को कपड़े बदलने की कोई व्यवस्था नहीं की गई है.
संगम घाट पर लगे बिजली के पोल में साइनेज और नंबर भी नहीं लगाये गये है. इसके चलते श्रद्धालु संगम में स्नान करने के बाद परिजनों से भटक गए. भीड़ के चलते श्रद्धालु भटक कर दूसरे सेक्टरों में पहुंच गए और मेला क्षेत्र में हुए डायवर्जन के चलते वह अपनों तक पहुंच नहीं पाए. इसके चलते बड़ी संख्या में लोग डिजिटल खोया पाया केंद्र पर अपनों की खोज में पहुंचे. प्रयागराज त्रिवेणी संगम तट पर श्रद्धालुओं के साथ चोरी की वारदात भी बड़ी संख्या में हुईं. श्रद्धालु जब संगम में आस्था की डुबकी लगा रहे थे, तो उसी समय कुछ उचक्कों ने उनके कीमती सामान, मोबाइल, कपड़े पार कर दिए. ऐसे में कुछ श्रद्धालुओं को बिना वस्त्र ही अपने परिजनों के साथ वापस जाना पड़ा.’
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