
वैष्णवों के लिए एकादशी सबसे महत्वपूर्ण है. एकादशी इत्यादि व्रत ज्योतिषीय महत्व रखते हैं. साल में पुत्रदा एकादशी दो होती है. एक पौष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि पर पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत रखा जाता है और दूसरी पुत्रदा एकादशी सावन में पड़ती है. पौष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को पुत्रदा एकादशी कहा जाता है. पुत्रदा एकादशी 10 जनवरी को को पड़ रही है. नाम से ही स्पष्ट है ‘पुत्र देने वाली’ अर्थात पुत्रदा एकादशी का व्रत करने वालों को पुत्र की प्राप्ति होती है. यह तिथि भगवान विष्णु को समर्पित है. इस दिन भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा की जाती है और उनकी प्रसन्नता के निमित्त एकादशी का व्रत रखा जाता है. इस व्रत के पुण्य प्रताप से साधक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है. श्रद्धा भाव से भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा और व्रत करने से निःसन्तान को सन्तान की प्राप्ति होती है.
एकादशी मुहूर्त और पारण समय –
पंचांग के अनुसार पौष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत 9 जनवरी को 12:23 पीएम पर होगी. तिथि का समापन 10 जनवरी को सुबह 10 बजकर 11 मिनट पर है. व्रत करने वाले भक्त 10 जनवरी को व्रत रखकर विधि-विधान से भगवान विष्णु की पूजा कर सकते हैं. पुत्रदा एकादशी पारण का मुहूर्त 11 जनवरी 2025 सुबह 7: 20 मिनट से 8:20 तक है.
सभी व्रतों में एकादशी और त्रयोदशी का व्रत सबसे अधिक महत्व का बताया गया है. एक मात्र एकादशी आजीवन व्रत करने वाला जीवन में सब कुछ प्राप्त कर लेता है. एकादशी व्रत से व्यक्ति निरोगी रहता है, राक्षस, भूत-पिशाच आदि योनि से छुटकारा मिलता है और पापों का नाश होता है. एकादशी सभी संकटों से मुक्ति दिलाता है, व्रती के सभी कार्य सिद्ध होते हैं, सौभाग्य प्राप्त होता है. इससे विवाह बाधा समाप्त होती है, धन और समृद्धि आती है और जीवन में सुख शांति मिलती है. यह अंत में व्रत करने वाले मुक्ति प्रदान कर देता है.