
नये वर्ष 2025 में कई बड़े ग्रह राशि परिवर्तन करेंगे. इनमें बृहस्पति, राहु और कर्म के देवता शनिदेव का राशि परिवर्तन सबसे महत्वपूर्ण होगा. शनि मार्च महीने में राशि परिवर्तन करेंगे. शनिदेव के राशि परिवर्तन करने से राशि चक्र की सभी राशियों पर भाव अनुसार प्रभाव पड़ेगा. देवता शनि देव अमावस्या के दिन 29 मार्च 2025 को 1:06 मिनट पर कुंभ राशि से निकलकर मीन राशि में प्रवेश कर जायेंगे. इस राशि में शनि का गोचर कुछ राशि वालों के लिए बेहद परेशानियां देने वाला साबित होगा और कुछ राशियों के लिए अत्यंत लाभकारी होगा. शनि के गोचर के बाद ही बृहस्पति और राहु का गोचर होगा. राहु और शनि की युति भी इस गोचर में अत्यंत महत्वपूर्ण होगी. शनि का मीन में गोचर के समय पंचग्रह योग बन रहा है, मीन राशि में सूर्य-चन्द्रमा, राहु, शनि और बुध साथ रहेंगे. राहु शनि से एक ही नक्षत्र में युत रहेगा ऐसे में यह कई जातकों के लिए बड़े शॉक देने वाला साबित हो सकता है.
किन राशि पर साढ़े साती और ढैय्या होगी –
शनि की महादशा 19 साल तक चलती है. ज्यादातर जातकों के जीवन में एक बार शनि की महादशा जरूर आती है. ऐसे में शनि का गोचर इनके लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है. इस वर्ष 2025 में शनिदेव के राशि परिवर्तन करने से मकर जातकों को सर्वाधिक लाभ प्राप्त होगा. इस राशि के जातकों को साढ़ेसाती से मुक्ति मिलेगी. कर्क और वृश्चिक राशि के जातकों को शनि की ढैय्या से मुक्ति मिलेगी. लेकिन मेष राशि की साढ़ेसाती का प्रारम्भ हो जायेगा. वहीं सिंह राशि और धनु राशि पर ढैय्या शुरू हो जायेगी. मीन और कुम्भ राशि की साढ़ेसाती अभी चल ही रही है. शनि मीन राशि पर गोचर करेगा, इससे मीन राशि के लिए भी ढाई साल अत्यंत कष्टदायक हो सकते हैं. जन्म राशि पर चन्द्रमा के अंशों पर शनि का गोचर अक्सर बेहद कष्टदायक और जिन्दगी में उथलपुथल मचाने वाला होता है.
शनि की साढ़ेसाती 7.5 साल तक चलती है. साढ़ेसाती को तीन चरणों में बांटा गया है, जो ढाई-ढाई साल के होते हैं. पहले दो ढाई साल मुश्किलों वाले होते हैं जिसमे मानसिक कष्ट, रोग, बेरोजगारी, दरबदर होना, आर्थिक क्षति इत्यादि होते हैं. कष्ट देने के बाद अंतिम ढाई साल में शनि कुछ दे कर जाता है या नुकसान की भरपाई कर जाता है. शनि की साढ़े साती और ढैय्या अक्सर आर्थिक और शारीरिक कष्टों देने वाली होती है, इसमें शनि सुख-चैन को छीन लेता है. जरूरी नहीं कि सबके लिए साढ़ेसाती खराब ही हो, जिन जातकों के प्रबल राजयोग होते हैं उनको साढ़ेसाती या ढैय्या प्रभावित नहीं करती. पंडित जवाहरलाल नेहरु कि साढ़ेसाती 1944 में शुरू हुई, 1946 में शनि उनकी राशि में गोचर कर रहा था और उसके बाद 1948 में शनि सिंह राशि में गोचर किया. इस दौर में 15 अगस्त 1947 को वे पीएम बने थे और आलीशान राजयोग का भोग हुआ. जब प्रबल राजयोगकारक ग्रह की दशा चल रही होती है तब शनि की साढ़ेसाती का प्रभाव निरस्त हो जाता है.

शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या का प्रभाव कैसा होगा, उसका कुल प्रभाव कैसा होगा इसका आंकलन कुंडली के विश्लेषण से ही सम्भव है. कई बार कुछ राशियों में साढ़ेसाती के कुछ वर्ष काफी शानदार भी होते हैं. शनि की साढ़ेसाती के प्रभाव से बचाव के लिए शनिवार के दिन काले जूते, चमड़े के चप्पल, सरसों का तेल, नमक, लोहा, अनाज और बर्तन का दान करें, इसके साथ ही धन का भी दान करना चाहिए. साढ़ेसाती प्रारम्भ होते ही शनि का एक अनुष्ठान करा लेना चाहिए.