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उज्जैन के शिप्रा के त्रिवेणी घाट पर स्थित शनि मंदिर उज्जैन शहर का विशेष मन्दिर है. यह नौ ग्रहों को समर्पित मन्दिर है. शनिवार को पड़ने वाली अमावस्या के दिन यहाँ बहुत भीड़ होती है. बताया जाता है कि लगभग दो हजार साल पहले इस मंदिर की स्थापना राजा विक्रमादित्य ने की थी. विक्रमादित्य ने इस मंदिर के बनाने के बाद ही विक्रम संवत की शुरुआत की थी. इस मन्दिर की खासियत है कि यहाँ मुख्य शनिदेव की प्रतिमा के साथ-साथ ढय्या शनि की भी प्रतिमा भी स्थापित है. यह शनि मंदिर पहला ऐसा मंदिर है, जहां शनिदेव शिव के रूप विराजमान हैं. यहां आने वाले श्रद्धालु अपनी मनोकामना के लिए शनिदेव पर तेल चढ़ाते हैं. शनि अमावस्या के दिन यहां कई क्विंटल से ज्यादा तेल शनिदेव पर चढ़ता है. यह तेल टंकी में एकत्र होता है और उसकी नीलामी की जाती है.

यहाँ नवग्रह सिंदूर के रंग में बने हैं. सभी नवग्रह सिंदूर के रंग के ही हैं. उस पर उनके चिन्ह का अंकन है. यह मन्दिर 2000 साल पुराना है.

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