Spread the love

हिन्दू धर्म में अमावस्या का बहुत महत्व बताया गया है. यह पितरों की तिथि है इसलिए कृष्ण पक्ष की यह सबसे महत्वपूर्ण तिथि है. हिन्दू धर्म में पितरों की पूजा की जाती है. इस दिन पितरों का श्राद्ध करने से वे प्रसन्न होते हैं और पूजकों की मनोकामना पूर्ण होती है. अमावस्या के दिन ही श्राद्ध और तर्पण करना चाहिए क्योकि इसी दिन पितृगण इसे स्वीकार करते हैं. अमावस्या पर स्नान और दान-पुण्य करने से पुन्य की प्राप्ति होती हैं और जीवन में चली आ रही परेशानियों से भी निजात मिलती है. पौष अमावस्या में अनाज, तिल, फल, गुड़,आंवला, चीनी, मिठाई, जूते, काले कपड़े, कंबल इत्यादि का दान करना चाहिए. दान एक बहुत बड़ा पुण्य कर्म है. पौष अमावस्या के दिन ब्रह्म मुहूर्त में पवित्र नदीं में स्नान करना भी पुण्यदायक माना गया है. सोमवती अमावस्या के दिन पीपल की पूजा और उसकी 7 बार परिक्रमा कर जल अर्पित करने का भी विधान है. सोमवती अमावस्या के दिन नवविवाहित महिलाएं वट वृक्ष की भी पूजा करती हैं.

तिथि मुहूर्त –
पंचाग के अनुसार पौष माह की सोमवती अमावस्या तिथि 30 दिसंबर सोमवार को सुबह 4.01 बजे शुरू होगी और इसका समापन अगले दिन 31 दिसंबर को सुबह 3.56 बजे होगा. सोमवती अमावस्या का ब्रह्म मुहूर्त 30 दिसंबर को सुबह 5.24 बजे शुरू होगा और सुबह 6.19 बजे तक रहेगा. उदयातिथि के आधार पर पौष अमावस्या सोमवार को होगी. सोमवती अमावस्या व्रत 30 दिसंबर को होगा.