
बहुसंख्यक मनुष्य यह मानते हैं कि यह जन्म ही अंतिम है और जैसे भी हो इसी में सब कर लेना है, चाहे जैसे भी करना है. यदि किसी भी मनुष्य को यह पूर्ण रूप से भान हो कि पुनर्जन्म कर्मों के अनुसार ही होता है तो वह कभी धन और भोग के लिए पाप, जुर्म और अत्याचार नहीं करेगा. बहुसंख्यक मनुष्य ईश्वर के अस्तित्व को भी न के बराबर ही मानते हैं और उन्हें कोई भय नहीं कि पाप कर्मों का दंड ईश्वर देता है. इन धन लोलुप, भोग लोलुप मनुष्यों का अंतिम सत्य भोग ही है, ये सेक्स को परम सत्य मानते हैं. भगवद्गीता में कहा है कि इसीलिए इन्हें पूर्ण रूप से असत्य में प्रतिष्ठित होते हैं “असत्यमप्रतिष्ठं ते जगदाहुरनीश्वरम्।”.
ये ऐसी नास्तिक बुद्धि का आश्रय लेनेवाले हैं, ये तुच्छ बुद्धि होते हैं. ये उग्रकर्मा और संसारके शत्रु हैं, इनमे जो लीडर होता है वह इन तुच्छ बुद्धि के मनुष्योंकी सामर्थ्यका उपयोग जगत का नाश करनेके लिये ही करता है. जैसे मोदी, हिटलर. इसमें वे बाबा, मठाधीश शामिल कर लिया जाय जो भगवद्गीता में मुक्ति के लिए बताये गये सभी दैवी गुणों के विरोधी हैं और हिंसा, पाप कर्म करते हैं तथा धनलोलूप बन कर धन के लिए सभी आध्यात्मिक मूल्यों को तिलांजली देते हैं. वे भी नास्तिक ही हैं क्योकि उनका भी ईश्वर में कोई विश्वास नहीं है. इस कारण भारत में धर्म कहीं दिखता नहीं और धर्म का वाह्याचार विशुद्ध बिजनेस है.
कृष्ण ने भगवद्गीता में अच्छे मनुष्य के जो लक्षण बताये हैं और कहा है कि ये ही धर्म की वृद्धि करने वाले हैं तो यदि उस पर आरएसएस-भाजपा गिरोह को जज किया जाय तो गिरोह में एक भी मनुष्य उपरोक्त लक्षणों वाला नहीं मिलेगा. इसलिए भगवान ने कहा है कि ये अल्पबुद्धि के आसुरी गुणों से सम्पन्न मनुष्य दुनिया का नाश करने के लिए जन्म लेते हैं.
असत्यमप्रतिष्ठं ते..नष्टात्मानोऽल्पबुद्धयः।
प्रभवन्त्युग्रकर्माणः क्षयाय जगतोऽहिताः।।16.9।।
असत्य में स्थित ये अल्प बुद्धि वाले, घोर कर्म करने वाले लोग जगत् के शत्रु (अहित चाहने वाले) के रूप में उसका नाश करने के लिए उत्पन्न होते हैं।।
यहाँ यह ध्यान देने की बात है चार्वाकों को असुरों के नाश के लिए ही बृहस्पति ने उपदेश किया था –
“यावज्जीवेत सुखं जीवेद ऋणं कृत्वा घृतं पिवेत, भस्मीभूतस्य देहस्य पुनरागमनं कुतः”
जब तक जिओ सुख पूर्वक जिओ ऋण लेकर घी पियो क्योकि मृत्यु के बाद पुनरागमन कहाँ होता है.
इस प्रकार हम देखें तो आधुनिक अर्थव्यवस्था इसी सिद्धांत पर आधारित है. आधुनिक इकॉनमी “कर्ज Debt” की अर्थव्यवस्था है जिसमें आसुरी शक्ति सम्पन्न दानव कर्ज लेकर घी पीते हैं और सारे भोग भोगते हैं और आम जनता पर कर्ज छोड़ कर मरते हैं. हर सरकार जब सत्ता से बहार जाती है तो राजकोष खाली करके लाखो करोड़ का कर्ज छोड़ कर जाती है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार नरेंद्र मोदी के पीएम बनने के बाद से देश के हर नागरिक पर करीब 1.46 लाख रुपये का कर्ज है. एक गुजरात का दानव सरकारी कर्ज लेकर और 6 महीने में देश की सम्पत्ति लूट कर विश्व का तीसरा धनी व्यक्ति बन गया था. उसका हजारो करोड़ का कर्ज माफ़ किया गया है. जब से मोदी पीएम है तब से कर्ज लेकर घी पीने वालों के 16 लाख करोड़ रुपये का कर्ज माफ़ किया है.